Ranchi: झारखंड की राजनीति में शराब घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस मामले की जांच पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मरांडी ने आरोप लगाया कि एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने जानबूझकर जांच में लापरवाही बरती, जिससे सभी बड़े आरोपी आसानी से जमानत पर बाहर आ गए।
घोटाले में बड़े नाम शामिल
मरांडी ने पत्र में कहा कि इस बहुचर्चित घोटाले में निलंबित IAS विनय कुमार चौबे, पूर्व IAS अमित प्रकाश, JSBCL के तत्कालीन महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और नकली होलोग्राम सप्लाई करने वाले विधू गुप्ता जैसे बड़े नाम शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घोटाले में सैकड़ों करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है।
ACB पर लापरवाही का आरोप
मरांडी का कहना है कि ACB ने जानबूझकर 90 दिनों की तय समय सीमा में चार्जशीट दाखिल नहीं की। इसके कारण घोटाले के लगभग सभी मुख्य आरोपी अदालत से जमानत पाने में सफल हो गए। उन्होंने इसे “सुनियोजित साजिश” करार दिया और कहा कि जब जांच एजेंसी ही गंभीर नहीं होगी तो न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
संदिग्ध तबादले बढ़ाते हैं सवाल
पत्र में मरांडी ने हाल ही में ACB के शीर्ष नेतृत्व और पांच अधिकारियों के तबादले को भी संदिग्ध बताया। उन्होंने पूछा कि जिन अधिकारियों को हटाया गया, वे आखिर किसके लिए काम कर रहे थे और उन्हें अचानक क्यों हटाया गया? मरांडी ने इसे सरकार द्वारा घोटाले की तह तक जाने के बजाय दोषियों को बचाने की कवायद बताया।
CBI जांच की मांग
मरांडी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पूरे मामले की CBI जांच कराई जाए। इसके साथ ही ACB के उन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो, जिन्होंने समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं की। साथ ही, हालिया तबादलों के पीछे की सच्चाई और इन अधिकारियों की बेनामी संपत्तियों की भी जांच होनी चाहिए।
राजनीतिक गर्माहट
मरांडी ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की, तो यह माना जाएगा कि इस घोटाले को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है। भाजपा का आरोप है कि सरकार पूरे प्रकरण को दबाने और भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रही है।








