बिरनी : 11 करोड़ की लागत, दो साल से बंद और दो महीने से झूठे वादे — बाराडीह नावाघाट की पानी टंकी अब ग्रामीणों के लिए सुविधा नहीं, बल्कि उपहास का प्रतीक बन चुकी है। भीषण गर्मी में हजारों लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी ने जनता की पीड़ा को और भी बेचैन कर दिया है। बता दें कि 23 मार्च को ग्रामीणों ने जलापूर्ति बहाल कराने के लिए अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया था, जो लगातार 13 दिनों तक चला। 8 अप्रैल को बीडीओ फणीश्वर रजवार, एसडीओ मोहन मंडल और जेई अजय रजवार ने 8 मई तक जलापूर्ति शुरू करने का लिखित वादा किया। लेकिन वादों की उम्र सिर्फ कागज़ तक सीमित रही। 8 मई बीत गया, लेकिन एक बूंद पानी नहीं टपका।
गर्मी का कहर और प्रशासन का सुस्त रवैया
ग्रामीणों के धैर्य को अब गुस्से में बदल रहा है। गांव के अधिकांश चापाकल सूख चुके हैं, कुएं बेकार हो चुके हैं, और सरकारी पाइपलाइन से सिर्फ उम्मीद की हवा निकल रही है। जब बीडीओ से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा। वहीं कनीय अभियंता अजय रजवार का तर्क है कि “फंड नहीं है, मिलेगा तो काम शुरू होगा।” सवाल उठता है कि जब फंड ही नहीं था, तो लिखित आश्वासन किस आधार पर दिया गया? वहीं इस पर ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही जलापूर्ति बहाल नहीं की गई तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।







