Jharkhand News: झारखंड सरकार राज्य में पेसा कानून (PESA Act) को लागू करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है. राज्य सरकार पंचायती राज विभाग की नियमावली को अंतिम रूप देने में जुटी है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा को पहले से कहीं अधिक अधिकार मिलने वाले हैं. खास बात यह है कि कल्याण विभाग को नया सुपरवाइजर बनाया जा सकता है, जो पूरे सिस्टम पर निगरानी रखेगा.
झारखंड भारत के पांचवीं अनुसूची वाले राज्यों में आता है, जहां आदिवासी स्वशासन की परंपरा को संवैधानिक दर्जा मिला है. यही वजह है कि नयी नियमावली में कल्याण विभाग को अहम जिम्मेदारी मिलने जा रही है, ताकि पारंपरिक शासन को मज़बूती से लागू किया जा सके.
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क्या है नया बदलाव?
PESA एक्ट के तहत सरकार अलग-अलग विभागों से नियमावली बनवा रही है ताकि ग्रामसभा को अधिक अधिकार मिल सकें. इसके लिए जल संसाधन, खनन, वन, गृह समेत कई विभागों ने कानूनी सलाह लेकर अपने-अपने नियम तैयार कर लिए हैं. मुख्य सचिव स्तर पर हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है.
लेकिन उठ रहे हैं सवाल!
जहां सरकार आदिवासी सशक्तिकरण की बात कर रही है, वहीं कई सामाजिक संगठनों ने प्रस्तावित नियमावली पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि यह ड्राफ्ट पेसा की “मूल आत्मा” से मेल नहीं खाता. संगठनों की मांग है कि PESA को पंचायती राज सिस्टम से बाहर रखा जाए, ताकि ग्रामसभा को पूर्ण स्वायत्तता मिल सके.
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बाकी राज्यों से पीछे है झारखंड!
गौरतलब है कि देश के 10 राज्यों में पेसा कानून लागू है, जिनमें झारखंड और ओडिशा को छोड़कर अन्य 8 राज्य पहले ही नियमावली बना चुके हैं. ऐसे में अब राज्य सरकार पर दबाव है कि वह पेसा एक्ट की आत्मा को बरकरार रखते हुए नियमावली को जल्द अंतिम रूप दे.







