Ranchi News: जब नीति निर्माता ही नीति का गला घोंटने लगें, तो समझ लीजिए कि देश के भविष्य ने मास्क पहन लिया है और ICU में भर्ती है. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति साहब की व्यथा कोई साधारण सी आह नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के गले में फंसी राजनीति की हड्डी है… जो न निगली जा रही है, न उगली.
“छात्र नेता” अब छात्र कम और नेता ज्यादा
उनका वायरल वीडियो देखकर एक पल को लगा कि शायद किसी स्कूल के प्रिंसिपल की शिकायत सुन रहे हैं कि बच्चे होमवर्क नहीं कर रहे! पर साहब, ये तो पूरा विश्वविद्यालय है, और “छात्र नेता” अब छात्र कम और नेता ज्यादा हो चुके हैं. एक हाथ में प्लेकार्ड, दूसरे में टेंडर की फाइल — और शिक्षा? अरे वो तो यूनियन मीटिंग्स और भूख हड़ताल के बीच कहीं दबकर रह गई है.
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अब भला कौन पढ़े और क्यों पढ़े? जब राजनीति ही रोज़गार है, और यूनिवर्सिटी कैंपस ही चुनावी रिहर्सल का सबसे सस्ता मंच! यहां गालियों में “भाइचारा” है, मारपीट में “विचारधारा” है और गुरुओं के लिए “सम्मान” एक पुरातन अवधारणा बन चुका है, जिसे म्यूजियम में रखा जाना चाहिए. देखिए वीडियो:
शिक्षा के क्षेत्र में राजनीतिक सेंधमारी स्वीकार नहीं- देखिए कुलपति की व्यथा…!
हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति साहब की व्यथा कोई साधारण सी आह नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के गले में फंसी राजनीति की हड्डी है… जो न निगली जा रही है, न उगली. उनके वायरल वीडियो में… pic.twitter.com/DNnzZpHcAs
— Khabar Mantra Live (@Khabarmantlive) June 27, 2025
कुलपति साहब ने दिखाई शिक्षा व्यवस्था की एक्स-रे रिपोर्ट
कुलपति साहब ने तो जैसे शिक्षा व्यवस्था की एक्स-रे रिपोर्ट ही दिखा दी — छात्र नेता टेंडर के पीछे, गुरुजन डर के पीछे, और पाठ्यक्रम छत के पीछे! यूनिवर्सिटी का प्रशासन अब व्हाट्सएप ग्रुप से चलता है, और कक्षाएं अगर कभी चल भी जाएं तो छात्र “आंदोलन” में व्यस्त होते हैं.
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तो पूछिए अपने आप से —
- क्या शिक्षा के मंदिर में ‘बेवजह की राजनीति’ ही नया पाठ्यक्रम बन चुकी है?
- क्या किताबों की जगह बैनर लहराना अब नई योग्यता है?
- क्या अब यूनिवर्सिटी का ‘शॉर्ट टर्म कोर्स’ टेंडर और धरना बन चुका है?
सवाल गंभीर हैं, पर जवाब… वो तो शायद अगली यूनियन मीटिंग में तय होंगे!







