कोडरमा। आज के डिजिटल युग में युवाओं पर सोशल मीडिया का खुमार चढ़ा हुआ है। रील्स, मीम्स, लाइक-कमेंट और शेयर के दौर में युवा संस्कारों से दूर जा रहे हैं। वहीं कोडरमा की बेटी देवांगना झांझरी ने आधुनिक चकाचैंध, सांसारिक सुखों को त्याग कर अब जैन साध्वी बनकर जैन धर्म के सिद्धांत और नियमों का पालन करते हुए पूरे देश में भ्रमण करेगी।
आर्किटेक्ट बनने के बाद जाॅब भी की: झुमरीतिलैया के झांझरी रोड निवासी जैन समाज के प्रतिष्ठित व्यवसायी नरेंद्र झाझंरी की 27 वर्षीय पुत्री देवांगना झाझंरी ने संसार की माया व धन संपदा को त्याग कर वैराग्य पथ अपनाने का निश्चय किया है। खबर मन्त्र संवाददाता से नरेंद्र झांझरी ने बताया कि देवांगना की प्रारंभिक शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल कोडरमा से हुई, इसके बाद हिसार स्थित जिंदल विद्यालय से 12वीं तक की पढ़ कर आर्किटेक्ट की डिग्री हासिल की, इंस्पायरिंग स्पेस बेंगलुरु में इंटर्नशिप किया। वहीं उन्होंने बताया कि शुरुआत में सफूरना डिजाइंस भरूच गुजरात में 6 लाख के पैकेज पर जाॅब किया।
शहर पहुंचने पर भव्य स्वागत: नरेंद्र ने बताया कि जैन धर्म के महान संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज की विदुषी शिष्या आर्यिका पूर्णमति माताजी से बेटी देवांगना झाझंरी ने धर्म संस्कार लेकर ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में धर्म प्रभावना के बाद झुमरीतिलैया पहुंचने पर जैन समाज के लोगों ने देवांगना का उनके घर पर पहुंच कर भव्य स्वागत किया। वहीं बाद में मंदिर में उनके स्वागत सम्मान के लिए धर्म सभा आयोजित की गई। बैंड बाजा ढोल नगाड़े के साथ परिवार के सभी लोगों का समाज द्वारा माला पहनाकर, तिलक लगाकर स्वागत किया गया।
परदादा, नाना-नानी और मामा भी बन चुके साधु:नरेंद्र झांझरी ने बताया कि 6 भाई-बहनों में देवांगाना सबसे छोटी हैं। बेटी की नानी भी काफी पहले दीक्षा लेकर जैन साध्वी बन गई थी, जिससे उनकी बेटी काफी प्रभावित हुई थी। वहीं उन्होंने बताया कि इसके बाद उनके नाना, मामा और परदादा ने भी दीक्षा लेकर जैन मुनि का जीवन अपनाया था। उनके परदादा, नाना और नानी की समाधि हो चुकी है, जबकि मामा भारतवर्ष में पैदल भ्रमण कर जैन धर्म की प्रभावना कर रहे हैं। देवांगना की माता वीणा देवी भी काफी धार्मिक हैं। देवांगना देश के विभिन्न इलाकों में आयोजित होने वाले जैन मुनि और जैन साध्वी की धर्म सभा में हिस्सा भी लेती थी।
शादी के प्रस्ताव पर करती थी टालमटोल:नरेंद्र ने बताया कि एक पिता की तरह उन्होंने भी अपनी बेटी की शादी काफी धूमधाम से करने का सपना संजोया था। उन्होंने अपनी बेटी के समक्ष शादी के कई प्रस्ताव दिए मगर वह हमेशा टालमटोल करती रहती थी। उन्हें भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनकी बेटी एक दिन साध्वी बन जाएगी। अब वह ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर साध्वी दीदी का जीवन जीने के लिए अग्रसर है। बहुत जल्द दीक्षा ग्रहण कर वह जैन साध्वी बनेगी। इसके बाद पूरे भारत वर्ष में पैदल भ्रमण कर जैन धर्म का प्रचार प्रसार करेंगी।