रांची: राजधानी रांची में जगह-जगह लगे पोस्टरों ने झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है. इन पोस्टरों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख नेताओं के समर्थन में दिए गए नारे चर्चा का विषय बन गए हैं.
पोस्टर में लिखा गया है:
“गुरुजी हैं तो गुरूर है,
हेमंत हैं तो हिम्मत है,
और बसंत हैं तो बाहर है,
इसलिए झारखंड में झामुमो की लोकप्रिय सरकार है.”
इन पोस्टरों के जरिए झामुमो के नेताओं को केंद्र में रखकर पार्टी की सरकार की लोकप्रियता को दर्शाया गया है. हालांकि, महागठबंधन सरकार में शामिल अन्य दलों को पोस्टर में कोई जगह नहीं दी गई है, जिससे सियासी गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या झारखंड में महागठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है?
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झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता ने दि सफाई
इस पर झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता ने सफाई देते हुए कहा, यह पोस्टर मेरी पार्टी के प्रति मेरी निष्ठा और प्रेम को दर्शाता है. मैंने कभी यह नहीं कहा कि झामुमो की सरकार सबसे बड़ी है. हम मानते हैं कि झारखंड में महागठबंधन की सरकार मजबूत है.
वहीं कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा, यह पोस्टर किसी कार्यकर्ता का पार्टी के प्रति प्रेम हो सकता है, लेकिन अगर इसमें महागठबंधन का भी उल्लेख होता तो यह और बेहतर होता.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पोस्टर एक संदेश भी हो सकता है. बताया जा रहा है कि झामुमो बिहार विधानसभा चुनाव में 16 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. ऐसे में यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर पार्टी को गठबंधन में प्राथमिकता नहीं मिली तो वह कोई बड़ा फैसला ले सकती है.
फिलहाल, पोस्टर ने झारखंड की राजनीति में गर्माहट जरूर बढ़ा दी है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सियासी पोस्टर वार का असर गठबंधन की एकता पर किस रूप में पड़ता.







