Jharkhand: झारखंड के हजारीबाग जिले में मरीजों को इलाज के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शेख़ भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति न के बराबर है। स्थिति यह है कि मरीजों को मामूली इलाज के लिए भी रांची या निजी क्लिनिक का रुख करना पड़ता है।
सरकारी रिकॉर्ड में तैनात, पर ड्यूटी से नदारद
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हजारीबाग में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर तैनात हैं। लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश डॉक्टर अपनी ड्यूटी से नदारद रहते हैं और रांची में निजी अस्पतालों या क्लीनिक में प्रैक्टिस करते हैं। अस्पतालों में जरूरी उपकरण मौजूद होने के बावजूद मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
मरीजों की नाराजगी, महंगे इलाज की मजबूरी
इलाज के लिए आए मरीजों और परिजनों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के दर्शन तक मुश्किल से होते हैं। ऐसे में उन्हें मजबूरी में महंगे प्राइवेट क्लिनिक और अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। इस वजह से गरीब और ग्रामीण मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
रांची रेफर, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई
अक्सर गंभीर मरीजों को इलाज और जांच के लिए रांची रेफर कर दिया जाता है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा चुकी हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की कमी और गैरमौजूदगी ने लोगों को निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर होने के लिए मजबूर कर दिया है।
जरूरी है ठोस कार्रवाई
विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार को अनुपस्थित डॉक्टरों पर सख्त कदम उठाने होंगे। निलंबन और बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने की जरूरत है।







