Thursday: आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में जब लोग शांति और स्थिरता की तलाश में रहते हैं, तब पारंपरिक धार्मिक दिन जैसे गुरुवार एक नई ऊर्जा और जीवनशैली की प्रेरणा बनकर उभर रहे हैं.बृहस्पति देव को समर्पित यह दिन अब सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहा, बल्कि संयमित आहार, अध्यात्मिक फैशन और मानसिक संतुलन से जुड़ी दिनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है.
पीले खानपान से चल रही नई ‘धार्मिक डाइट’ की लहर
गुरुवार के दिन पीले खाद्य पदार्थों का सेवन शुभ माना जाता है. अब इस धार्मिक परंपरा को स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी अपनाया जा रहा है.
लोग व्रत के दौरान हल्दी मिला गर्म पानी, चना दाल का सूप, और केसर-दूध जैसे प्राकृतिक डिटॉक्स फूड्स को प्राथमिकता दे रहे हैं. ये न सिर्फ ग्रह दोषों की शांति माने जाते हैं, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं.
‘संयमिक फैशन’—धार्मिकता और स्टाइल का संगम
गुरुवार को पीले वस्त्र पहनने की परंपरा अब युवाओं के लिए एक फैशन स्टेटमेंट बन चुकी है. हल्के कपड़ों में पारंपरिक डिजाइन, गोल्डन बॉर्डर और वैदिक श्लोकों से सजे परिधान पहनना अब धार्मिक आस्था के साथ सौंदर्यबोध का हिस्सा बन गया है.
फैशन डिज़ाइनर भी ‘व्रत-वस्त्र’ थीम पर काम कर रहे हैं, जिसमें धर्म और डिज़ाइन का गहरा तालमेल दिखाई देता है.
गुरुवार ध्यान रूटीन—मन और आत्मा की सफाई का उपाय
अब कई युवा और बुजुर्ग गुरुवार को विशेष ध्यान करते हैं, जिसे ‘गुरु ध्यान’ कहा जाता है. इसमें 10 मिनट तक ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का उच्चारण किया जाता है, जिससे मानसिक स्पष्टता और निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है.
इस अभ्यास को सुबह के योग या सूर्य नमस्कार के साथ जोड़ा जा रहा है.
घर की सजावट में लौट रहा धार्मिक स्पर्श
गुरुवार को पीतल का दीपक जलाना, तुलसी के पौधे की पूजा करना, और केले के पौधे को घर के आंगन में स्थापित करना अब फिर से चलन में आ गया है.
लाइफस्टाइल ब्लॉगर्स और वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
गुरुवार अब केवल व्रत और पूजा का दिन नहीं रहा। यह एक समग्र जीवनशैली बन चुका है—जहां परंपरा, स्वास्थ्य, अध्यात्म और फैशन एक साथ चलते हैं. धर्म की जड़ें आधुनिक जीवन में इस तरह समाहित हो रही हैं कि युवा पीढ़ी इसे गर्व के साथ जी रही है.










