Ghatshila Bielection: क्या जेएमएम रामदास सोरेन के बेटे को मंत्री बनाने की तैयारी में है, क्या सीएम हेमंत एक बार फिर उपचुनाव से पहले कैबिनेट विस्तार करने वाले हैं, क्या सोमेश सोरेन को मिलेगा शिक्षा मंत्री के पद ?
जल्द हो सकता है कैबिनेट विस्तार
झारखंड में घाटशिला उपचुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। घाटशिला उपचुनाव में जेएमएम बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है।
उपचुनाव की तैयारियों के बीच सीएम हेमंत सोरेन बड़ी योजना बनाने की तैयारी में हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा उपचुनाव का अपना पुराना सफल फॉर्मूला एक बार फिर आजमाने की तैयारी में हैं। यानी सीएम हेमंत दिवंगत रामदास सोरेन के परिवार से किसी को उपचुनाव से पहले मंत्री पद देने की योजना में हैं।
रामदस सोरेन के परिजनों ने की सीएम से मुलाकात
खबरों की मानें तो पितृपक्ष के बाद कैबिनेट विस्तार करने की योजना बनाई जा रही है। दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन को मंत्री पद देकर घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में उतारने की योजना है।
इसी बीच स्व रामदास सोरेन के परिवार ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इस दौरान स्व रामदास सोरेन की पत्नी सूरजमनी सोरेन, बड़े पुत्र सोमेश सोरेन, रोबिन सोरेन, रूपेश सोरेन, भतीजा विक्टर सोरेन व परिवार के अन्य सदस्य शामिल रहे।
CM Soren ने सोशल मीडिया में किया पोस्ट
मुलाकात के बाद CM Soren ने अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा कि- आज रांची में झामुमो परिवार के मजबूत स्तम्भ रहे, महान आंदोलनकारी, घाटशिला विधानसभा के जन-जन के दिलों में बसने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री स्मृति शेष स्व रामदास सोरेन के परिजनों से मुलाकात हुई तथा घाटशिला विधानसभा से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।
नाम पर हो रही है चर्चा
बता दें की दिवंगत रामदास सोरेन के निधन के बाद से ही उनके परिवार के किसी सदस्य को आगे विधानसभा चुनाव लड़ाने को लेकर चर्चाएं तेज है। ऐसे में वह नाम कौन होगा इसपर फिलहाल निर्णय नहीं लिया गया है।
इधर इस मुलाकात के बाद अब जल्द ही सरकार व पार्टी के स्तर से इस पर निर्णय लिए जाने की संभावना है। प्रबल संभावना है की परिवार के किसी सदस्य को मंत्री बनाकर राजनीति में सक्रिय किया जाएगा। फिर उसे ही आगे घाटशिला में टिकट देकर पार्टी लड़ाएगी।
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हफीजुल हसन और बेबी देवी को पहले बनाया गया था मंत्री
बता दें झारखंड में उपचुनाव से पहले मंत्री बनाये जाने का फॉर्मूला पहले से चलता आ रहा है। ये रणनीति हेमंत सोरेन के लिए पहले भी सफल साबित हुई है। सबसे पहले 2019 में मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके पुत्र हफीजुल हसन को मधुपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने से पहले मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। हफीजुल ने उपचुनाव जीतकर विधायक बनने के साथ ही कैबिनेट में अपनी जगह मजबूत की।
इसी तरह पूर्व मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री बनाकर डुमरी विधानसभा उपचुनाव में उतारा गया। बेबी देवी ने भी यह चुनाव जीता और विधानसभा में अपनी सीट बरकरार रखी।
इसी फॉर्मूले पर चलते हुए सीएम हेमंत सोरेन पहले उम्मीदवार को मंत्री पद देना चाहते हैं उसके बाद उसे मैदान में उतारना की योजना है।
घाटशिला उपचुनाव की बात करें तो –
रामदास सोरेन के असमय निधन की वजह से घाटशिला विधानसभा सीट खाली हो गई है. यहां उपचुनाव होना है. झामुमो के साथ सहानुभूति जुड़ी हुई है तो दूसरी ओर भाजपा यह साबित करने में जुटी है कि हेमंत सरकार आदिवासी विरोधी है. सूर्या हांसदा एनकाउंटर और रिम्स-टू के मुद्दे को आदिवासी अत्याचार से जोड़कर प्रोजेक्ट किया जा रहा है.
भाजपा और जेएमएम के बीच हो सकती है टक्कर
इस सीट से प्रत्याशियों की बात करें तो यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और जेएमएम के बीच ही हो सकता है. 2024 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झामुमो को छोड़ भाजपा में आए चंपाई सोरेन अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन को दोबारा घाटशिला से प्रोजेक्ट करने की जुगत में है. हालांकि भाजपा आलाकमान ने अभी तक प्रत्याशी के नाम का पत्ता नहीं खोला है. भाजपा की ओर से 2019 का चुनाव लड़ने वाले लखन चंद्र मार्डी और डॉ सुनीता देवदूत सोरेन भी रेस में हैं.
सोमेश सोरेन को मिल सकता है टिकट
जेएमएम की तरफ से दिवंगत रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को इस सीट से टिकट मिलने की प्रबल संभावना है,वो मैदान में तैयारियों के लिए उतर भी गए हैं हालांकि कुछ रिपोर्ट्स का मानना है कि जेएमएम रामदास सोरेन की पत्नी पर भी दांव खेल सकती है फिलहाल इसकी तस्वीर साफ नहीं हुई है.
रामदास सोरेन को मिले थे 98,356 वोट
2024 के विधानसभा चुनाव में घाटशिला सीट पर भाजपा से बाबूलाल सोरेन का मुकाबला जेएमएम के रामदास सोरेन से हुआ था. ये लड़ाई एकतरफा नहीं थी. रामदास सोरेन को 98,356 वोट मिले थो तो बाबूलाल को 75,910 वोट.
सीट का इतिहास
साल 2005 में यह सीट कांग्रेस के खाते में थी. साल 2009 में झामुमो का कब्जा था. फिर 2014 में यह सीट भाजपा के खाते में आ गई थी. पिछले दो चुनावों से इस सीट पर झामुमो का कब्जा है.
अब 2025 के उपचुनाव में ये सीट किस पार्टी के पास रहेगी इस पर सबकी निगाहें टिकी है. फिलहाल सीएम किसे मंत्री पद सौंपते हैं ये जानने के लिए थोड़ा इंतेजार करना होगा.







