Jharkhand News: झारखंड का बहुचर्चित सारंडा वन क्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित करने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. इस बात पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाी करेगा कि, अब तक आखिर राज्य सरकार द्वारा सारंडा वन क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित क्यों नहीं किया गया. जबकि, NGT( नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल) ने पहले ही साल 2022 में 400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित करने का निर्देश दिया था.
क्या मुख्य सचिव को जाना पड़ेगा जेल?
पिछली सुनवाई जो 18 सितंबर को हुी थी, उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस देरी को अवमानना माना था और राज्य के मुख्य सचिव अविनाश कुमार को चेतावनी दी थी कि, यदि 8 अक्टूबर तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया तो, उन्हें जेल भेजने तक की कार्रवाई हो सकती है. वहीं, कोर्ट ने मुख्य सचिव को 8 अक्टूबर को व्यक्तिगत रुप से उपस्थित रहने का आदेश भी दिया था. जिसको लेकर आज मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोनों दिल्ली पहुंच चुके है.
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सरकार पेश कर सकती है GoM की रिपोर्ट
सूत्रों की माने तो, कोर्ट में सरकार ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) की रिपोर्ट पेश कर सकती है. जिसमें वहां रहने वाले गरीब आदिवासियों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर गंभीर असर पड़ सकता है. बता दें, यह रिपोर्ट वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के नेतृत्व पांच सदस्यीय ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने हाल ही में सारंडा वन क्षेत्र का दौरा कर जमीनी स्तर से मूल्यांकन कर तैयार किया गया है. जिसमें बताया गया है कि, अगर सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की घोषित किया जाता है तो, वहां के स्थानीय आदिवासियों के जीवन पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
पहले राज्य सरकार ने 57,519 हेक्टेर क्षेत्र को अभ्यारण्य में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन पूर्व में PCCF द्वारा सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी के बिना तैयार किया गया था. जिस वजह से मामला और जटिल हो गया और सुप्रीम की निगरानी में आ गया.
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मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री आज ही लौटेंगे रांची
वहीं, सुप्सुरीम कोर्नट के सुनवाई के बाद मुख्यमंत्री और मुख्य दिल्ली से रांची लौटेंगे. सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और कोर्ट की फटकार के बाद अब दबाव में दिखाई दे रही है.







