Desk : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) को परमाणु हथियारों की टेस्टिंग दोबारा शुरू करने का निर्देश दिया है। उनका कहना है कि अमेरिका को अब चीन और रूस की बराबरी करनी होगी, ताकि सैन्य संतुलन बना रहे। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पिछले तीन दशकों से अमेरिका ने किसी भी तरह का परमाणु परीक्षण नहीं किया है।
Read More-8 साल बाद फिर वही जंग! भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच महिला वर्ल्डकप का सेमीफाइनल आज
आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को हुआ था न्यूक्लियर टेस्टिंग
अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को नेवादा के रेनियर मेसा पहाड़ियों के नीचे भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था। उस टेस्ट का कोडनेम “डिवाइडर” रखा गया था। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि नीचे की चट्टानें पिघल गईं और सतह लगभग एक फुट तक ऊपर उठने के बाद धंस गई। आज भी वहां 150 मीटर चौड़ा गड्ढा मौजूद है, जो उस समय की याद दिलाता है।
Read More-रांची में 25 क्विंटल प्रतिबंधित मांस के साथ 4 गिरफ्तार, कोलकाता भेजने की थी तैयारी
1996 में बने ‘कम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी’ (CTBT) के तहत ऐसे परीक्षणों पर वैश्विक रोक लगाई गई थी। हालांकि, अमेरिका और चीन ने इस संधि पर हस्ताक्षर तो किए, लेकिन इसे अब तक मंजूरी नहीं दी। ट्रंप का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई परमाणु प्रतिस्पर्धा को जन्म दे सकता है।












