Kml Desk: झारखंड का मौसम एक बार फिर से सुहाना हो गया है, एक तरफ हल्की धूप और ठंडी हवाओं के बीच लोगों को सर्दी का एहसास हो रहा है। तो दूसरी तरफ झारखंड घाटशिला विधानसभा सीट की तपिश बढ़ने लगी है। ऐसा इस लिए क्योंकि बिहार के दूसरे चरण के मतदान में झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है। ऐसे में देखा जाए तो घाटशिला में चुनावी हो चला है औऱ यह कहना गलत नहीं होगा कि घाटशिला में अब अंतिम युद्ध शुरू हो गया है। देखा जाए तो सिर्फ मतदान होने में अब केवल 7 दिन शेष रह गए है। जिसके बाद 11 नवंबर को जनता अपने मताधिकार का अधिकार कर यह तय करेंगे कि इस सीट की गद्दी पर कौन बैठेगा। क्या हेमंत कल्पना की जोड़ी की उम्मीदवार की जीत होगी या फिर भाजपा का योद्धा बाबूलाल सोजेन।
हेमंत सोरेन औऱ कल्पना सोरेन कल से करेंगे चुनावी जनसभा
बताया जा रहा है कि घाटशिला विधानसभा सीट झामुमो के प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, पार्टी की ओर से जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन औऱ पार्टी की केंद्रीय उपाध्यक्ष कल्पना सोरेन कल से प्रचार की कमान संभाल रही है। दोनों नेता 3 नवंबर यानी कल से 8 नवंबर तक घाटशिला के अलग-अलग क्षेत्र में जनसभा और रोड शो के जरिए जनता तक पहुंचेगे। जहां हेमंत सोरेन बड़ी जनसभाओं को संबोधित कर पार्टी के विकास कार्य को ध्यान में रखते हुए जनता से संवाद करेंगे। तो दूसरी तरफ कल्पना सोरेन महिलाओं पर खास ध्यान रखेंगे। देखा जाए तो 2024 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन औऱ कल्पना सोरेन की जोड़ी ने जीत की राह काफी आसान कर दी थी। वहीं मुख्य रूप से पार्टी घाटशिला में बंद पड़े माइनिंग प्रोजेक्ट्स को दोबारा शुरू करने के मुद्दे पर जोड़ दे रही है। इसके साथ ही स्थानीय रोजगार के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने में लगी है। झामुमो के लिए यह सीट न केवल एक उपचुनाव है बल्कि अपनी साख बचाने की जंग भी बन चुकी है। क्योंकि यह सीट झामुमो की परंपरागत सीट मानी जाती है, ऐसे में झामुमो इस सीट को गवाना नहीं चाहती है।
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भाजपा ने तैयार की स्टार प्रचारकों की लंबी फेहरिस्त
दूसरी तरफ नजर डाला जाए तो एनडीए के तरफ से भाजपा भी किसी भी किमत पर घाटशिला को हाथ से जाने नहीं देना चाहती। भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की लंबी फेहरिस्त भी तैयार कर रखी है। पूर्व मुख्यमंत्रियों में रघुवर दास, मधु कोड़ा, अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी के साथ चंपाई सोरेन लंबे समय से घाटशिला में घूम घूम कर दौरा कर रहे है। भाजपा ने मुख्य रूप से इस बार बांग्लादेशी घुसपैठ, बढ़ती बेरोजगारी औऱ राज्य में अपराध की घटनाओं को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो रामदास सोरेन ने भाजपा के उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन को 22 हजार से अधिक मतों से हार का स्वाद चखाया थाा। ऐसे में इस बार भाजपा एक बार फिर बाबूलाल सोरेन को मैदान में उतारकर हार का बदला लेने के मूड में है। दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक, हर स्तर पर प्रचार चरम पर है।
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अब देखा जाए तो झामुमो जनभावना और स्थानीय मुद्दो पर भरोसा जता रही है, वहीं भाजपा राज्य की कानून व्यवस्था और बेरोजगारी को हथियार बना रही है। इन सबके बीच 11 नवंबर को घाटशिला की जनता मतदान करेगी औऱ 14 नवंबर को परिणाम साफ हो जाएगा कि किसके पक्ष में जनादेश घाटशिला की जनता का गया है। सत्ता में बैठे झामुमो के साथ या विपक्ष में खड़ी एनडीए के साथ। नतिजा जो कुछ भी हो लेकिन एक बार साफ है इन सात दिनों तक घाटशिला की जनता को चुनाव में पार्टी के तरफ से एक से बढ़कर एक बयान सुनाई देंगे तो जनता कुसरी की पेटी बांध ले और मजा ले घाटशिला उपचुनाव का।







