Ranchi News: रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) के सभागार में मंगलवार को राज्य स्तरीय रबी कर्मशाला 2025-26 का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित किया।
मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राज्य के कम से कम 200 किसानों के जीवन में व्यक्तिगत प्रयास से सकारात्मक बदलाव लाएं। इसके लिए प्रत्येक अधिकारी की किसान सुधार सूची भी तैयार की जाएगी।
रबी फसल की जानकारी हर किसान तक पहुंचे — शिल्पी नेहा तिर्की
कर्मशाला में मंत्री ने कहा कि हर वर्ष विभाग इस तरह का आयोजन करता है ताकि किसानों को रबी फसल से संबंधित सही जानकारी और नई तकनीक उपलब्ध कराई जा सके।
उन्होंने कहा कि इस बार अतिवृष्टि (भारी बारिश) से किसानों को 25 से 30% तक का नुकसान हुआ है, जो 40% तक बढ़ सकता है। ऐसे में अधिकारियों को किसानों के प्रति संवेदनशीलता और तत्परता दिखाने की आवश्यकता है।
मंत्री ने यह भी कहा कि —“किसानों के सामने आज कई सवाल हैं – क्या खाएंगे, बच्चों का भविष्य क्या होगा? ऐसे में अधिकारियों को आगे बढ़कर उनकी मदद करनी चाहिए।”
फसल बीमा और आपदा राहत पर दिया गया जोर
मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने अधिकारियों से कहा कि फसल बीमा योजना से आच्छादित किसानों को शीघ्र मुआवजा राशि दिलाने और जो किसान बीमा योजना से बाहर हैं, उन्हें आपदा प्रबंधन विभाग से सहायता दिलाने के प्रयास करें।
उन्होंने फसल नुकसान की रिपोर्ट को अंचल से जिला मुख्यालय तक तेजी से भेजने के निर्देश भी दिए।
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कृषि सचिव और कुलपति ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
कृषि सचिव अबू बक्कर सिद्दीखी ने कहा कि रबी या खरीफ – दोनों मौसमों के लिए किसानों का कृषि कैलेंडर तय होना जरूरी है ताकि हर काम समय पर पूरा हो सके।
उन्होंने मिट्टी जांच और उपयुक्त फसल चयन को फसल उत्पादन बढ़ाने की कुंजी बताया।
वहीं BAU कुलपति डॉ. एस.सी. दुबे ने कहा कि इस बार भारी बारिश से धान की फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन अतिवृष्टि से खेतों में बनी नमी का लाभ रबी फसलों के लिए उठाया जा सकता है।
पुस्तक का विमोचन और वैज्ञानिकों की मौजूदगी
कर्मशाला के दौरान कृषि विभाग द्वारा तैयार एक नई पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में निदेशक जीशान कमर, निबंधक शशि रंजन, निदेशक माधवी मिश्रा, विशेष सचिव प्रदीप हजारी, संजय शांडिल्य, एस.के. अग्रवाल, किसान प्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक और कृषि पदाधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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