Ranchi: घाटशिला विधानसभा उपचुनाव अब अपने सबसे निर्णायक मोड़ पर है। 11 नवंबर को मतदान होना है और 9 नवंबर की शाम तक प्रचार पूरी तरह थम जाएगा। अब देखा जाए तो कुल 2 लाख 55 हजार 823 मतदाता 14 नवंबर को यह तय करेंगे कि घाटशिला सीट की बागडोर किसके हाथ जाएगी। फिलहाल जमीन पर दोनों दलों के द्वारा प्रचार-प्रसार काफी तेजी से की जा रही है, लेकिन लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है, सूत्रों के मुताबिक यह मुकालबा फिलहाल जितना खुले मैदान में दिख रहा है, उससे कही ज्यादा दिलचस्प अंदरूनी तौर पर है।
हेमंत-कल्पना की जोड़ी लगातार कर रही चुनावी सभा
देखा जाए तो झामुमो की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन की जोड़ी लगातार क्षेत्र में जनसभा कर रहे है है। जनसभा में पार्टी लगातार अपने सरकार के कार्यकाल का बखान कर रही है। लेकिन बताया जा रहा है कि पार्टी मंच से ज्यादा अपने पूराने नेटवर्क को एक्टिव मोड में डाल दिया है। सूत्रों के मुताबिक झामुमो ने लास्ट के 48 आवर्स की तैयारी की है, जिसमें पार्टी हर पंचायत में मिनी जनसंवाद और महिला समूहों के जरिए वोटरों को एकजुट करने की प्लानिंग में है। जाहिर है घाटशिला सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है।
भाजपा ने कमजोर पर रख रही विशेष नजर
वहीं भाजपा ने भी इस चुनाव को प्रतिष्ठा की लड़ाई बना दिया है। पार्टी के स्थानीय नेताओं को सीधा संदेश मिला है कि घाटशिला जीतना है। इसी का नतिजा है कि पार्टी राष्ट्रीय चेहरों को पीछे रखकर प्रदेश और संगठन के जमीनी नेताओं पर भरोसा जताया है। सूत्रों के अनुसार घाटशिला के 42 कमजोर बूथों पर पार्टी ने विशेष टीम तैनात की है। वहीं पार्टी के क्षेत्रीय कार्यकर्ता भी इस बार एक्टिव मोड में दिख रहे हैं।
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कुछ नेताओं में अंदरूनी नाराजगी
हालांकि राजनीतिक हलकों में चर्चा यह भी है कि भाजपा और झामुमो दोनों ही दलों के कुछ स्थानीय नेताओं में नाराजगी है, जो कही ना कही चुनावी परिणामों में असर डाल सकती है। हालांकि दोनों ही दल ओबीसी और महिला मतदाताओं को मनाने में औऱ अपने पाले में लाने के लिए जुटी हुई है। क्योंकि जीत औऱ हार का बड़ा फैक्टर ये ही तय करेंगे।
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कौन लिखेगा जीत की पटकथा
ऐसे में देखे तो, घाटशिला की जंग नेतृत्व बनाम नेटवर्क में बदल चुकी है। जहां झामुमो भावनात्मक जुड़ाव और संगठन की गहराई पर भरोसा कर रही है, तो वहीं भाजपा बूथ मैनेजमेंट पर दांव लगा रही है। अब देखना यह है कि क्या हेमंत-कल्पना की जोड़ी घाटशिला में फिर से जीत की पटकथा लिख पाएगी? या फिर भाजपा 2014 की तरह दोबारा भगवा लहराने में सफल होगी? इंतजार 14 नवंबर की परिणाम टिकी हुई है, क्योंकि 14 नवंबर को यह साफ हो जाएगा कि घाटशिला सीट पर जीत किसकी हुई है। और यह जीत ही तय करेंगी कि 2029 के चुनाव में कौन सी पार्टी कितनी मजबूत स्थिती में होगी।







