Ranchi: झारखंड सरकार ने राज्य की जैव विविधता और स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में देसी मांगुर मछली को झारखंड की राजकीय मछली (State Fish) घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के मत्स्य प्रभाग द्वारा यह प्रस्ताव रखा गया था, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान की। इस निर्णय का उद्देश्य स्थानीय मछलियों की दुर्लभ होती प्रजातियों के संरक्षण, पालन-पोषण और प्रोत्साहन को बढ़ावा देना है।
देसी मांगुर मछली क्यों खास है?
देसी मांगुर, जिसे Clarias batrachus नाम से भी जाना जाता है, झारखंड की नदियों, तालाबों और जलाशयों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली एक सशक्त प्रजाति है। यह मछली अपने पोषक गुणों, औषधीय महत्व और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से गहरे जुड़ाव के लिए जानी जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, देसी मांगुर न केवल ग्रामीण मत्स्यपालकों की आमदनी बढ़ाने में मददगार है, बल्कि यह स्थानीय जल पारिस्थितिकी तंत्र का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सरकार का उद्देश्य
राज्य सरकार का यह निर्णय जैविक विविधता की रक्षा के साथ-साथ स्थानीय मछली पालन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे मत्स्यपालकों को प्रोत्साहन मिलेगा और देसी प्रजातियों के संरक्षण के लिए नीति-स्तर पर नई संभावनाएं खुलेंगी।
थाई मांगुर क्यों है प्रतिबंधित?
देसी मांगुर से मिलती-जुलती एक विदेशी प्रजाति थाई मांगुर (Clarias gariepinus) पर भारत में पालन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।
प्रतिबंध के मुख्य कारण:
- थाई मांगुर एक आक्रामक (Invasive) प्रजाति है, जो देसी मछलियों को खाकर उनकी आबादी को नुकसान पहुंचाती है।
- यह स्थानीय जल स्रोतों के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ देती है।
- इसके मांस में उच्च मात्रा में टॉक्सिक तत्व और हानिकारक केमिकल पाए गए हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह हैं।
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और फिशरीज एक्ट के तहत थाई मांगुर के पालन और विक्रय पर भारत में संपूर्ण प्रतिबंध लागू है।
इस फैसले से झारखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है जिन्होंने अपनी विशिष्ट मत्स्य प्रजातियों को राजकीय प्रतीक के रूप में मान्यता दी है।
झारखंड सरकार ने देसी मांगुर मछली को राज्य की राजकीय मछली घोषित किया। कैबिनेट ने मत्स्य प्रभाग के प्रस्ताव को दी मंजूरी। जानिए क्यों खास है देसी मांगुर और इसका क्या होगा असर।







