Kml Desk: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में मिली करारी हार के बाद तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाला संजय यादव को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे है। लालू परिवार कि बात करे तो परिवार में संजय यादव को लेकर घमासान पहले से ही मचा है। पहले तेज प्रताप यादव ने संजय यादव को लेकर आपत्ती जताई थी, तो अब चुनाव के बाद लालू परिवार की सबसे लाडली बेटी रोहिणी ने परिवार औऱ पार्टी से किनारा कर लिया है।
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किडनी देने वाली वेटी ने परिवार से बढ़ाई दूरी
लालू को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी शनिवार देर रात रोते-रोते राबड़ी आवास छोड़ दी। बाहर आते ही मीडिया में बयान दिया के मेरा कोई परिवार नहीं है, उन्होंने ही मुझे परिवार से निकाला है, सारी दुनिया सवाल कर रही है कि चुनाव में हार कैसी हुई। लेकिन उन्हें जिम्मेदारी नहीं लेनी है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा तेजस्वी यादव उनके करीबी संजय यादव और रमीज से सवाल पूछिए, लेकिन आप सवाल पूछेंगे तो आपको भी गाली दी जाएगी।
कौन है संजय यादव जिनपर लगातार लग रहे आरोप
रोहिणी और तेजप्रताप ने जिस प्रकार संजय यादव पर मुख्य रूप से आरोप लगाया है। ऐसे में कई लोगों के भितर यह उतसुकता होगी कि आखिर यह रमीज और सजंय यादव है कौन। आपकों बता दें कि रमीज सार्वजनिक तौर पर कभी मीडिया के सामने नहीं आते है और लोगों को उनके बारै में बहुत कुछ नहीं पता है। वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले है और क्रिकेट के मैदान से संजय यादव की तरह ही तेजस्वी के दोस्त है। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक रमिज राजनीतिक परिवार से आते है, वर्तमान में वह पार्टी के सोशल मीडिया औऱ चुनाव प्रचार को देख रहे थे। हालांकि पार्टी के फैसले में उनकी क्या भूमिका थी, इसके बारे में कुछ जानकारी फिलहाल नहीं है। आने वाले समय में जिस प्रकार बयान दिए जा रहे है तो जल्द ही कुछ नया खुला किया जा सकता है।
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वहीं बात अगर संजय यादव की करे तो, यह बताया जाता है कि पार्टी के फैसलों में उनकी भूमिका रहती है, लेकिन वो भी आमतौर पर पर्दे के पीछे रहकर ही काम करते है। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक यह जानकारी मिली है संजय यादव तेजस्वी को कंट्रोल करते है। यह बताया जाता है कि संजय और तेजस्वी के बीच दोस्ती इतनी गहरी है कि आरजेडी के कई पुराने नेता भी उनसे सिधे मुंह बात करने से डरते है। लेकिन उनके राजनीति में एंट्री कब हुई इसका सटिक जानकारी तो नहीं है लेकिन यह बताया जाता है कि जब लालू यादव चारा घोटाले मामले में जेल गए थे, तब तेजस्वी ने संजय यादव को बिहार बुलाया था।बिहार में रहते हुए उन्होंने चुनावी समीकरण और आंकड़ो पर काम किया औऱ जरूरत के मुताबिक आरजेडी में कई तरह के बदलाव भी किए। इतना ही नहीं यह वहीं संजय यादव है जिन्होंने 2020 के चुनाव में आरजेडी को बड़ा फायदा भी पहुंचाया था। चुनाव प्रचार में तेजस्वी ने जिस प्रकार 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था, इस वादे से पार्टी को काफी फायदा हुआ था। माना जाता है कि यह रणनीति संजय यादव ने ही बनाई थी और इसी के दम पर संजय यादव की पार्टी में कद बढ़ने की बात कही जाती है।
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बिहार की राजनीति में लालू परिवार के दो सिपाही बाहर
बिहार की वर्तमान परिस्थिती का आगर अवलोकन किया जाए तो तेजप्रताप एक तरफ जहां पार्टी औऱ परिवार से दूर है। उन्होंने बिहार के चुनाव में जनसक्ती जनता दल बनाकर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई थी। तो चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद जहां महागठबंधन कई तरह की आपत्ती जता रही थी तो उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष हुआ है। चुनाव में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। इतना ही नहीं उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी शेयर किया था, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारिफ भी की थी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों लालू परिवार से अलग हुए तेज प्रताप और रोहिणी क्या कुछ नए खुलासे करते है।












