धनबाद: देश में न्यायिक प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत धनबाद में अधिवक्ताओं और उनके लिपिकों को ई-फाइलिंग की विशेष ट्रेनिंग दी गई। शनिवार को सिविल कोर्ट धनबाद में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी, पारस कुमार सिन्हा, के.के. शुक्ला, दुर्गेश चंद्र अवस्थी, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आरती माला, अवर न्यायाधीश मयंक तुषार टोपनो और रजिस्ट्रार आइ.जेड. खान ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि “ई-कोर्ट्स परियोजना” का उद्देश्य न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता, दक्षता और गति लाना है। यह पहल सर्वोच्च न्यायालय के मार्गदर्शन में वर्ष 2007 में शुरू हुई थी, और इसका मकसद नागरिकों को घर बैठे ही मुकदमे दायर करने, केस की स्थिति जानने और डिजिटल माध्यम से सुनवाई में भाग लेने जैसी सुविधाएं देना है।
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कार्यक्रम में धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा मास्टर ट्रेनर स्वयंभू ने वर्चुअल माध्यम से बताया कि ई-कोर्ट सेवा लंबित मामलों को कम करने और नागरिकों को न्यायिक प्रक्रिया से अधिक प्रभावी ढंग से जोड़ने के लिए शुरू की गई है। यह पारदर्शी और जवाबदेहीपूर्ण न्याय प्रणाली को बढ़ावा देगा।
ई-कोर्ट से मिलने वाली प्रमुख सुविधाएं:
- केस इंफॉर्मेशन सिस्टम (CIS): न्यायालयों में मामलों के रिकॉर्ड का डिजिटल प्रबंधन।
- नेशनल जुडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG): न्यायपालिका में पारदर्शिता हेतु एक केंद्रीकृत केस डेटा बेस तैयार करना।
- ई-फाइलिंग: वकीलों और वादकारियों को ऑनलाइन याचिका दायर करने की सुविधा।
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (VC): जेलों, थानों या दूरस्थ स्थानों से अदालत में पेशी की सुविधा।
- ऑनलाइन केस ट्रैकिंग व आदेश डाउनलोडिंग: किसी भी मुकदमे की स्थिति जानना और आदेशों की प्रतियां ऑनलाइन प्राप्त करना।
अवर न्यायाधीश सह डालसा सचिव मयंक तुषार टोपनो, मास्टर ट्रेनर डीएसए अतुल वर्मा, दीप नारायण एवं जय केसरी ने अधिवक्ताओं और लिपिकों को इस प्रणाली के व्यावहारिक उपयोग की विस्तृत जानकारी दी।
ई-कोर्ट्स पहल से न्यायिक प्रक्रियाएं अब ज्यादा सहज, पारदर्शी और आम जनता के लिए सुलभ बनती नजर आ रही हैं।






