Jharkhand: झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा इलाके में स्थित जगन्नाथ मंदिर न केवल अपनी खूबसूरत स्थापत्य कला के लिए, बल्कि धार्मिक आस्था और भव्य रथ यात्रा के लिए भी प्रसिद्ध है। हर साल यहां भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस वर्ष यह रथ यात्रा 27 जून 2025 से प्रारंभ हो रही है और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं।
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जगन्नाथ मंदिर की स्थापना: एक रोचक ऐतिहासिक कथा
रांची का यह प्रसिद्ध मंदिर वर्ष 1691 में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव द्वारा बनवाया गया था। कहा जाता है कि राजा एक बार ओड़िशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की यात्रा पर गए थे। इस यात्रा के दौरान उनके साथ गए एक नौकर को भगवान जगन्नाथ की महिमा ने इस कदर प्रभावित किया कि वह प्रभु का परम भक्त बन गया।
भक्त नौकर को मिला प्रभु का साक्षात दर्शन
पुरी प्रवास के दौरान एक रात भूख से व्याकुल होकर उस नौकर ने भगवान जगन्नाथ से भोजन की प्रार्थना की। कहा जाता है कि स्वयं प्रभु ने एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण कर उसे भोग थाली में भोजन परोसा। सुबह जब नौकर ने यह चमत्कारी घटना राजा को सुनाई, तो वे हैरान रह गए। उसी रात भगवान जगन्नाथ ने राजा को सपने में दर्शन देकर अपने राज्य में मंदिर निर्माण का आदेश दिया।
पुरी जैसे धाम की स्थापना रांची में
पुरी से लौटते ही राजा एनीनाथ शाहदेव ने समाज के प्रमुख लोगों को बुलाकर जगन्नाथ मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू करवाया। कुछ ही समय में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ और तब से लेकर आज तक यहां हर साल भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है।
रथ यात्रा का भव्य आयोजन
रांची के जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा का महत्व किसी भी बड़े धार्मिक मेले से कम नहीं है। रथ यात्रा के पहले दिन और अंतिम दिन (घुरती रथ) श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्तजन भगवान के रथ को खींचकर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।
रथ यात्रा 2025: तिथि और विशेष जानकारी
- रथ यात्रा प्रारंभ: 27 जून 2025
- स्थान: जगन्नाथ मंदिर, धुर्वा, रांची
- मुख्य आकर्षण: भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ पर सवारी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विशाल मेला
रांची का जगन्नाथ मंदिर एक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इसकी स्थापना से जुड़ी कहानी न केवल श्रद्धा से भरपूर है, बल्कि यह दर्शाती है कि किस प्रकार राजा और प्रजा दोनों की भक्ति से एक महान धार्मिक स्थल का निर्माण हुआ। हर वर्ष निकलने वाली रथ यात्रा इस परंपरा को जीवंत बनाए रखती है।








