Kml Desk: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राज्य की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है, लेकिन अभी तक न तो सत्तारूढ़ NDA और न ही विपक्षी INDIA गठबंधन सीट शेयरिंग को लेकर अंतिम निर्णय पर पहुंच पाया है। दोनों गठबंधनों में अंदरूनी खींचतान अपने चरम पर है। साथ ही मीटिंग का दौर भी जारी है।
INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे पर असहमति
विपक्षी INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सबसे बड़ी टकराहट शुरूआत से लेकर अब तक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच दिखाई दे रही है। सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव की अगुवाई वाली RJD कांग्रेस को केवल 50 से 55 सीट देने को तैयार है। कांग्रेस इस प्रस्ताव से खुश नहीं है और वह कम से कम 70 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है। ऐसे में बातचीत कई दौर के बावजूद भी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। इधर, वाम दलों के साथ समझौते को लेकर भी चर्चा जारी है। लेफ्ट पार्टियां—CPI, CPM और CPIML—पिछले विधानसभा चुनाव की तरह करीब 25 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। हालांकि, RJD चाहती है कि इस बार सभी सहयोगी दल कुछ कम सीटों पर चुनाव लड़ें ताकि गठबंधन का समीकरण बेहतर बैठ सके। इसके साथ ही मुकेश सहनी भी अपने बाद पर डटे हुए है।
सहनी भी गठबंधन के भीतर परेशानी की वजह
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी भी गठबंधन के भीतर परेशानी की वजह बने हुए हैं। सहनी ने 35 से 40 सीटों की मांग रखी है, जबकि RJD उन्हें 20 से अधिक सीट देने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि सहनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का विकल्प खुला रखेंगे।
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NDA में भी सीट बंटवारे पर मतभेद गहरा
दूसरी ओर, NDA गठबंधन के भीतर भी कहे तो सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने समीकरण बिगाड़ दिया है। चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए 36 से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं और अपनी बातों पर डटे हुए है। देखा जाए तो जिस प्रकार चिराग पासवान अपनी मांगों पर डटे हुए है, ऐसे में एनडीए की दो प्रमुख पार्टी बीजेपी और जेडीयू दोनों को कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा। तो वहीं जीतनराम मांझी की पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी अधिक सीटों की मांग करने में लगी हुई है। अगर देखा जाए तो भाजपा और जेडीयू दोनों पार्टी कभी नहीं चाहेगी की वो 100 से कम सीटों पर चुनाव लड़े। लेकिन जिस प्रकार तमाम राजनेता डटे है। ऐसे स्थिती में एनडीए के लिए भी सीट शेयरिंग आसान नहीं होने वाला है।
कुल मिलाकर, देखा जाए तो बिहार की सियासत इस समय सीट बंटवारे की रस्साकशी में उलझी हुई है। एक ओर INDIA गठबंधन में तेजस्वी यादव, कांग्रेस और VIP के बीच मतभेद खत्म नहीं हो पा रहे हैं, वहीं NDA में चिराग पासवान की महत्वाकांक्षी मांगों से असंतोष बढ़ता जा रहा है। अब देखना होगा कि दोनों गठबंधन अपनी अंदरूनी खींचतान सुलझाकर कब चुनाव मैदान में उतरने की स्थिति में आते हैं, क्योंकि वक्त तेजी से गुजर रहा है और जनता दोनों पक्षों के फैसलों पर नजरें गड़ाए बैठी है।












