संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन एक अनोखी घटना सामने आई। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी सोमवार को एक पिल्ला लेकर संसद परिसर पहुंचीं। इस घटना के बाद संसद परिसर की सुरक्षा व्यवस्था, प्रोटोकॉल और नियमों के पालन को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
क्या हुआ था?
रेणुका चौधरी ने बताया कि संसद आते समय सड़क पर एक पिल्ला भटकता हुआ मिला। पास ही स्कूटर और कार की हल्की दुर्घटना हुई थी और उन्हें लगा कि पिल्ला किसी वाहन के नीचे आ सकता है। इस वजह से उन्होंने उसे उठाकर कार में बैठाया और सीधे संसद तक ले आईं।
सांसद के अनुसार, संसद परिसर पहुँचने के बाद पिल्ले को वापस भिजवा दिया गया।
सुरक्षा और प्रोटोकॉल पर सवाल
घटना के सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगे कि संसद में पालतू या आवारा जानवर लाना नियमों के अनुरूप है या नहीं।
पिल्ला हानिरहित था, लेकिन दिल्ली की हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में आने वाले सभी लोगों और सामग्रियों के लिए निश्चित प्रोटोकॉल लागू होते हैं।
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संसद के नियम क्या कहते हैं?
संसद भवन परिसर में पालतू जानवर या किसी भी तरह के जानवर को लेकर प्रवेश करना नियमों के खिलाफ है।
1. संसद भवन परिसर व्यवहार एवं आचरण नियम
- परिसर में केवल अधिकृत व्यक्ति, अधिकृत वाहन और सुरक्षा-क्लियरेंस प्राप्त सामग्री ही लाई जा सकती है।
- पालतू जानवरों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है।
- सुरक्षा शाखा इन नियमों को लागू करती है।
2. लोकसभा हैंडबुक फॉर मेंबर्स
- किसी भी ऐसी वस्तु, जीव या सामग्री को सदन या परिसर में लाने की अनुमति नहीं है जो सुरक्षा, गरिमा या कार्यवाही को प्रभावित कर सके।
- पालतू या आवारा जानवर इस प्रतिबंधित श्रेणी में आते हैं।
क्यों चर्चा में है यह मामला?
- घटना असामान्य थी, इसलिए सुरक्षा प्रोटोकॉल पर प्रश्न उठे।
- संसद प्रशासन ऐसी घटनाओं को व्यवस्था और अनुशासन के नजरिए से गंभीरता से देखता है।
- यह मामला जानवरों की सुरक्षा बनाम संसद सुरक्षा प्रोटोकॉल जैसे दो अलग पहलुओं को सामने लाता है।











