Religion News: दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से गौ माता की पूजा होती है, जिन्हें शास्त्रों में देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है. इस दिन भक्त गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण को इंद्र के कोप से रक्षा करने के लिए धन्यवाद देते हैं.
समय और महत्व
गोवर्धन पूजा का मुहूर्त कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर की शाम 4:51 बजे से शुरू होकर 22 अक्टूबर की रात 7:10 बजे है. लेकिन, उदय तिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर (बुधवार) यानी आज मनाई जा रही है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब इंद्रदेव ने घमंडवश ब्रज में मूसलधार वर्षा की, तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी उंगली पर उठाकर गांववालों और उनके पशुओं की रक्षा की. तभी से इस दिन को प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा के प्रतीक रूप में मनाया जाता है.
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कैसे होती है गोवर्धन पूजा?
सुबह गौ माता को स्नान कराकर, उन्हें नए वस्त्र, नई रस्सी, नई घंटी से सजाया जाता है और तेल लगाया जाता है. और गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों और बेलों से सजाया जाता है. यह पूजा विशेष रूप से प्रदोषकाल यानी शाम को की जाती है. साथ ही सात परिक्रमाएं कर ‘गोवर्धन जी की जय’ के जयकारे लगाए जाते हैं. पूजा के दौरान एक व्यक्ति जल का लोटा और दूसरा खील (जौ) लेकर चलता है.
गोवर्धन पूजा से क्या लाभ होता है?
गोवर्धन पूजा करने से घर में धन और धान्य की वृद्धि होती है, संतान सुख प्राप्त होता है, गोरस (दूध-दही) की बरकत बनी रहती है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा की जाती है, विशेषकर जो लोग औजार या मशीनरी से जुड़े कार्य करते हैं.
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