Kml sports: अगर तुम किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो, तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने की साजिश में लग जाती है। ॐ शांति ॐ की ये लाइन आज भारत की बेटियों ने सच कर दिखाई। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 52 साल के उस लंबे इंतज़ार को खत्म कर दिया, वो सपना, जो पीढ़ियों से अधूरा था, आखिरकार 2025 में पूरा हो ही गया।
1978 में देखा ख्वाब अब हुआ पूरा
यह सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि उन तमाम महिला खिलाड़ियों के दर्द, संघर्ष और समर्पण की कहानी है, जिन्होंने बिना पहचान के, बिना चमक-दमक के, अपने दम पर खेल, और अंत तक इतिहास लिखा डाला। बता दें कि 1973 में जब महिला वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी, तब भारत इसका हिस्सा भी नहीं था। 5 साल बाद, यानी 1978 में डायना एडुल्जी की कप्तानी में भारत ने पहली बार टूर्नामेंट में कदम रखा। मैदान पर खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं कम थीं, यहां तक कि अपने नाम की जर्सी भी नहीं थी, लेकिन इन सबके बावजूद हौसले आसमान छू रहे थे। आखिरकार वो दिन आया जब 2005 में पहली बार मिताली राज की अगुवाई में टीम फाइनल में पहुंची, अपने सपनों के करीब, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने उम्मीदें तोड़ दीं।
टीम ने नहीं तोड़ा हौसला
लेकिन टीम ने अपना हौसला नहीं तोड़ा इसके बाद हरमनप्रीत कौर की टीम ने दूसरी बार यानी 2017 में फाइनल पहुंची, पहले हरमनप्रीत ऑस्ट्रेलिया को सेमीफाइनल में हराया, अपना बदला पूरा किया पर फाइनल में इंग्लैंड के आगे फिर वही नतीजा दर्द, आँसू और अधूरा ख्वाब। लेकिन 2025 में हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारत की बेटियों ने यह ठन लिया था अब बस, बहुत हुआ इंतजार! सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहले अपना रास्ता साफ किया, और फाइनल में टूर्नामेंट की सबसे मज़बूत टीम साउथ अफ्रीका को हराकर इतिहास रच दिया।
भारत की बेटियों ने लिखा नया इतिहास
आपको बता दें कि यह भारत की महिला सीनियर टीम की किसी भी फॉर्मेट में पहली ICC ट्रॉफी है। इसके साथ ही 25 साल बाद महिला वर्ल्ड कप को नया चैंपियन भी मिला। 2000 में न्यूजीलैंड के बाद अब भारत ने यह ताज अपने सिर पर सजाया। भारतीय महिला टीम ने न सिर्फ जीत का ताज सजाया है बल्कि ना जाने कितने करोड़ों महिलो को प्रेरित किया है।












