Jharkhand News: झारखंड सरकार ने राज्य में व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती फीस और मुनाफाखोरी पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार ने झारखंड व्यावसायिक शिक्षण संस्थान शुल्क विनियमन अधिनियम 2025 की अधिसूचना जारी कर दी है। अधिनियम लागू होते ही राज्य के सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों की फीस अब शुल्क विनियमन समिति तय करेगी। कोई भी संस्थान निर्धारित शुल्क से अधिक राशि नहीं ले सकेगा।
क्यों लागू किया गया नया अधिनियम?
सरकार के अनुसार MBBS, इंजीनियरिंग, नर्सिंग, फार्मेसी, कृषि, प्रबंधन और विधि सहित कई पेशेवर कोर्स संचालित करने वाले संस्थानों से अत्यधिक शुल्क वसूली, कैपिटेशन फीस और मुनाफाखोरी की शिकायतें मिल रही थीं। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कानून सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर लागू किया गया है।
कैसी होगी शुल्क विनियमन समिति?
अधिनियम के तहत एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी जिसमें
- झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा से एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश (अध्यक्ष)
- राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति
- एक चार्टर्ड अकाउंटेंट
- संबंधित क्षेत्र के अनुसार NMC / AICTE / ICAR का प्रतिनिधि
- एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद
- विभागीय सचिव (सदस्य सचिव)
शामिल होंगे।
समिति फीस तय करने, उसकी समीक्षा और शिकायतों की सुनवाई का अधिकार रखेगी।
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संस्थानों पर सख्त प्रावधान
- कोई संस्थान एक शैक्षणिक वर्ष से अधिक की अग्रिम फीस नहीं ले सकेगा।
- NRI कोटा के लिए निर्धारित अतिरिक्त शुल्क का उपयोग आरक्षित वर्ग के छात्रों को रियायत देने में होगा।
- कैपिटेशन फीस या मुनाफाखोरी पकड़े जाने पर 20 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
- जरूरत पड़ने पर संस्थान की मान्यता रद्द करने की अनुशंसा भी की जा सकती है।
सरकार को मिले व्यापक अधिकार
सरकार किसी भी संस्थान का निरीक्षण कर सकती है, निर्देश जारी कर सकती है और जरूरत पड़ने पर राजपत्र अधिसूचना से संशोधन कर सकती है। समिति हर वर्ष अपनी रिपोर्ट सरकार और विधानमंडल को सौंपेगी।
क्या होगा इसका असर?
नए अधिनियम के लागू होने से झारखंड में व्यावसायिक शिक्षा व्यवस्था अधिक पारदर्शी और नियंत्रित होगी।
- छात्रों और अभिभावकों को अनियंत्रित फीस वृद्धि से राहत मिलेगी।
- संस्थानों की जवाबदेही बढ़ेगी।
- शिक्षा क्षेत्र में संतुलन और गुणवत्ता लाने में मदद मिलेगी।
यह अधिनियम झारखंड में पेशेवर शिक्षा को अधिक सुलभ और न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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