lifestyle: बार -बार नींद का टूटना, देर तक जागना या बहुत ज़्यादा सोना हो सकते हैं मानसिक तनाव और डिप्रेशन के संकेत.हम सभी जानते हैं कि अच्छी नींद एक स्वस्थ जीवनशैली का अहम हिस्सा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी नींद से जुड़ी कुछ आदतें आपकी मानसिक स्थिति का भी खुलासा कर सकती हैं?
हाल ही में आई एक हेल्थ स्टडी के मुताबिक, नींद से जुड़ी 5 आदतें हैं जो मेंटल हेल्थ पर असर डालती हैं:
बार-बार नींद का टूटना
क्या संकेत देता है:रात में कई बार नींद का टूटना यानी नींद का सतत न रहना, एक मानसिक स्थिति को दर्शा सकता है जिसे “एंग्जायटी डिसऑर्डर” कहा जाता है. जब मस्तिष्क लगातार चिंता और ओवरथिंकिंग में उलझा रहता है, तो शरीर पूरी तरह रिलैक्स नहीं हो पाता. इसका असर नींद की गहराई पर पड़ता है.
क्या करें:सोने से पहले मेडिटेशन करें, फोन या स्क्रीन से दूरी बनाएं और एक शांत वातावरण बनाएं. कैमोमाइल टी या गुनगुना दूध भी मदद कर सकता है.
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रात में देर तक जागना
क्या संकेत देता है:अगर आपको रात में देर तक नींद नहीं आती, और आप घंटों करवटें बदलते रहते हैं, तो ये “इनसोम्निया” (अनिद्रा) की शुरुआत हो सकती है. यह अक्सर डिप्रेशन या मन में चल रही अस्थिरता का परिणाम होता है.
क्या करें:अपने दिनचर्या को संतुलित बनाएं. रात में अत्यधिक कैफीन, फोन स्क्रॉलिंग या भारी भोजन से बचें. रोज़ एक ही समय पर सोने का प्रयास करें.
बहुत ज़्यादा सोना
क्या संकेत देता है:अगर आप दिन भर थकावट महसूस करते हैं और 9-10 घंटे की नींद के बाद भी तरोताज़ा नहीं होते, तो यह “हाइपरसोमनिया” हो सकता है. यह शरीर और मन की अंदरूनी थकावट को दर्शाता है, जो अवसाद (डिप्रेशन) का हिस्सा हो सकता है.
क्या करें:अपने शरीर की गतिविधि बढ़ाएं – हल्का व्यायाम करें, बाहर टहलें और सुबह की रोशनी में कुछ समय बिताएं. अगर स्थिति बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह लें.
सपनों में डरावने दृश्य देखना (नाइटमेयर्स)
क्या संकेत देता है:बार-बार बुरे सपने या डरावने दृश्य आना, किसी अतीत के मानसिक आघात (trauma) या गहरे बैठे डर का प्रतीक हो सकता है. यह PTSD (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) का भी संकेत हो सकता है.
क्या करें:ड्रीम जर्नल रखें, जिसमें आप अपने सपनों को लिखें. इससे उनके कारणों की पहचान हो सकती है. साथ ही थेरेपी में जाना भी फायदेमंद हो सकता है.
सोने में कठिनाई होना
क्या संकेत देता है:अगर बिस्तर पर जाने के बाद भी मन में बहुत सारे विचार चलते रहते हैं, और आप घंटों तक जागते रहते हैं, तो यह मानसिक संघर्ष या किसी अनसुलझी समस्या का संकेत हो सकता है. इसे Delayed Sleep Phase Disorder कहा जाता है
विशेषज्ञों का कहना है कि इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें. नियमित स्लीप शेड्यूल, डिजिटल डिटॉक्स और ध्यान (मेडिटेशन) जैसी आदतें मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकती हैं.
अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो मनोचिकित्सक से सलाह लेना ज़रूरी है.
Disclaimer: ऊपर दिए गए सुझाव पारंपरिक धार्मिक विश्वाशों और रीती रिवाजों पर आधारित है. हम इसकी कोई पुष्टि नहीं करते हैं.












