Jharkhand: झारखंड में एम्बुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल और स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती स्थिति को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि धरना पर बैठे एम्बुलेंस कर्मियों की मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करें, अन्यथा पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण एम्बुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने तंज करते हुए कहा, “स्वास्थ्य मंत्री खुद कह चुके हैं कि खाट पर मरीजों को अस्पताल लाना सामान्य बात है, ऐसे ‘संवेदनशील’ व्यक्ति से स्वास्थ्य सुधार की उम्मीद करना बेमानी है।”
त्रिपक्षीय समझौता अभी तक लागू नहीं
मरांडी ने याद दिलाया कि यह कोई पहली बार नहीं है जब एम्बुलेंस कर्मी हड़ताल पर बैठे हैं। इससे पहले भी एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था, जिसमें प्रमुख मांगे थीं:
- श्रम विभाग द्वारा निर्धारित वेतनमान का भुगतान
- सेवा अवधि को 60 वर्ष तक बढ़ाना
- पूर्व में की गई वेतन कटौती का भुगतान
- भुगतान की प्रक्रिया को निजी कंपनियों के बजाय NHM से जोड़ना
लेकिन आज तक इन बिंदुओं पर सरकार और सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
“स्वास्थ्य विभाग को भी लग गया है जंग”
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हर दिन झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाह तस्वीरें सामने आती हैं, लेकिन सरकार और स्वास्थ्य मंत्री केवल बयानबाज़ी में लगे हैं।
उन्होंने सवाल उठाया – “क्या अब सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन के लिए भी आंदोलन करना होगा? आखिर इन मांगों को मानने में क्या अड़चन है?”
बाबूलाल मरांडी का यह बयान न सिर्फ एम्बुलेंस कर्मियों के समर्थन में है, बल्कि झारखंड सरकार की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। अब देखना होगा कि क्या सरकार इस चेतावनी को गंभीरता से लेती है या फिर एक और आंदोलन को अनदेखा करती है।







