Religion News: शारदीय नवरात्रि का पावन त्योहार 22 सितंबर से शुरु हो चुका है. नवरात्रि का प्रत्येक दिन मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है. और आज नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है.
बता दें, ‘कूष्मांडा’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है- कुम्हड़ा की बलि. कुम्हड़ा का मतलब पेठा होता है. ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने अपनी मधुर मुस्कान से इस सृष्टि की रचना की है. इसलिए उनको ब्रह्मांड की सृजनकर्ता भी माना जाता है.
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भद्रा का प्रभाव और सावधानियाँ
मालूम हो कि, आज के दिन भद्रा योग और विनायक चतुर्थी भी पड़ रही है.
भद्रा काल: सुबह 08:18 AM से शुरु होकर अगले दिन 06:11 AM तक रहेगा.
राहुकाल: दोपहर 01:43 PM से लेकर 03:13 PM तक रहेगा.
भद्रा का वास पाताल लोक में है. पाताल की भद्रा को कुछ हद तक कम अशुभ माना गया है, फिर भी शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है. विशेषकर शादी, गृह प्रवेश, मुहूर्त या यात्रा जैसे कार्य भद्रा काल में नहीं किए जाते.
क्यों माना जाता है भद्रा को अशुभ?
भद्रा को अखिर क्यों अशुभ माना जाता है. बता दें, भद्रा को सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन माना जाता है. जिनके स्वाभाव में कठोरता बताई जाती है. जिस कारण से भद्रा को पंचांग में विशेष स्थान दिया गया है. भद्रा काल में विशेष रूप से तंत्र साधना, न्यायिक कार्य और राजनीति संबंधी निर्णय अधिक प्रभावकारी माने जाते हैं, जबकि मांगलिक कार्यों को वर्जित माना गया है.
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