Ranchi: झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र का आज पहला दिन दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन की याद में भावुक रहा। सत्र की शुरुआत में सभी विधायकों ने गुरुजी को श्रद्धांजलि दी और सदन स्थगित होने से पहले 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें नमन किया।
प्रदीप यादव ने की भारत रत्न की मांग
सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सदन में शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की जोरदार मांग की। उन्होंने कहा कि गुरुजी का योगदान सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है। यादव ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार को भेजने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शिबू सोरेन की संघर्ष गाथा और जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
पारसनाथ की चोटी पर बने ‘स्टेचू ऑफ रेवोल्यूशन’
डूंगरी विधायक जैराम महतो ने सदन में एक और बड़ी मांग उठाई। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन के जननायक शिबू सोरेन, निर्मल महतो और बिनोद बिहारी महतो की स्मृति में पारसनाथ की सबसे ऊँची चोटी पर ‘स्टेचू ऑफ रेवोल्यूशन’ स्थापित किया जाए।
जैराम महतो ने कहा—
“गुरुजी भले ही एक सामान्य पृष्ठभूमि से आते थे, लेकिन उनका आंदोलन पारसनाथ की धरती से शुरू हुआ था। आज समय आ गया है कि हम उस स्थान पर उनकी और अन्य क्रांतिकारियों की भव्य प्रतिमा स्थापित करें। यह झारखंड की मिट्टी से जुड़े हर आंदोलनकारी के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।”
शिबू सोरेन की जीवनी होगी पाठ्यक्रम का हिस्सा
इधर, झारखंड सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए शिबू सोरेन की जीवनी को राज्यभर के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा की है।
- कक्षा 1 और 2 के छात्रों को चित्रकथा के माध्यम से गुरुजी के जीवन से परिचित कराया जाएगा।
- कक्षा 4 में उनके पर्यावरण संरक्षण से जुड़े योगदान को कहानी और कविताओं के जरिए पढ़ाया जाएगा।
- उच्च कक्षाओं में उनकी राजनीतिक यात्रा, संघर्ष गाथा और सामाजिक योगदान को विस्तार से शामिल किया जाएगा।
शिक्षा विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह ने बताया कि पहले भी शिबू सोरेन पर एक अध्याय था, लेकिन अब इसे और विस्तार दिया जाएगा ताकि हर बच्चा गुरुजी के जीवन से प्रेरणा ले सके।







