पूरा मामला कुछ यूँ है की कर्नाटक के गोकार्णा में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने एक रूसी महिला को उसकी दो छोटी बेटियों के साथ जंगल के बीचोंबीच एक गुफा में रहते हुए पाया. महिला का वीज़ा 2017 में ही खत्म हो चुका था. अब उसे भारत से डिपोर्ट किए जाने की तैयारी हो रही है.
कहां और कैसे मिला ये परिवार?
यह घटना रामतीर्था हिल की है, जो गोकार्णा का एक पहाड़ी और जंगलों से घिरा क्षेत्र है.9 जुलाई को शाम करीब 5 बजे गोकर्णा पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर श्रीधर एस.आर. और उनकी टीम इलाके में गश्त कर रही थी.
जब वे एक भूस्खलन संभावित क्षेत्र के पास पहुंचे, तो उन्होंने एक गुफा के पास कुछ हलचल देखी. जांच में पता चला कि गुफा के अंदर नीना कुटीना (उम्र 40) नाम की एक रूसी महिला अपनी दो बेटियों — प्रेमा (6 साल, 7 महीने) और अमा (4 साल) के साथ रह रही थी.
जंगल में क्यों रह रही थी नीना?
पूछताछ में नीना ने बताया कि वह गोवा से गोकार्णा आई थीं, मानसिक शांति और आत्मिक साधना के लिए. उनका कहना था कि उन्होंने शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर रहकर ध्यान और प्रार्थना करने के मकसद से गुफा को अपना घर बना लिया.नीना के मुताबिक, यह उनका आध्यात्मिक निर्णय था.
प्रशासन क्यों है चिंतित?
हालांकि महिला का इरादा साधना का था, लेकिन बच्चों की सुरक्षा को लेकर पुलिस और प्रशासन बेहद चिंतित है. रामतीर्था हिल वही क्षेत्र है, जहां जुलाई 2024 में बड़ा भूस्खलन हो चुका है.यह इलाका खतरनाक जंगली जानवरों और जहरीले साँपों के लिए भी जाना जाता है.ऐसे में दो छोटे बच्चों के साथ वहां रहना उन्हें जानलेवा जोखिम में डाल रहा था.
क्या है अगला कदम?
जांच में यह भी सामने आया कि नीना का वीज़ा 2017 में ही एक्सपायर हो चुका है.अब उनके खिलाफ विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है.प्रशासन की ओर से उन्हें डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
सवाल उठता है…
क्या अध्यात्म की तलाश में बच्चों को खतरे में डालना सही है?
क्या प्रशासन को पहले से इन विदेशी नागरिकों की निगरानी नहीं रखनी चाहिए थी?











