बदायूं के सिविल लाइंस इलाके से एक अनोखी और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज के पारंपरिक ढांचे को चुनौती दी है. यहां एडवोकेट दिवाकर वर्मा के चेंबर के पास आशा और ज्योति नाम की दो युवतियों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर विवाह कर लिया. दोनों ने न सिर्फ समाज के ताने-बाने को नजरअंदाज किया, बल्कि एक मंदिर में सात जन्मों तक साथ निभाने की कसम भी खाई.
बदायूं के सिविल लाइंस इलाके से एक अनोखी और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज के स्थापित ढांचों को चुनौती दी है. यहां एडवोकेट दिवाकर वर्मा के चेंबर के पास आशा और ज्योति नाम की दो युवतियों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर विवाह कर लिया. एडवोकेट वर्मा ने इस विवाह में दोनों लड़कियों की मदद की और दोनों को सामाजिक रूप से एक नया रास्ता अपनाने का हौसला दिया.
आशा और ज्योति का कहना है कि वे पिछले तीन महीनों से एक-दूसरे की दोस्त हैं, लेकिन अब जीवन भर पति-पत्नी के रूप में साथ रहना चाहती हैं. चूंकि दोनों एक ही लिंग की हैं, इसलिए कानून उन्हें वैवाहिक अधिकार नहीं देता. इस बाधा को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने कलेक्ट्रेट स्थित एक शिव मंदिर में एक-दूसरे को जयमाला पहनाई और साथ जीने-मरने की कसम खाई.
इस रिश्ते में “पति” की भूमिका निभाने वाली आशा का कहना है कि उसका पुरुष समाज से विश्वास उठ चुका है. उसने बताया कि दो अलग-अलग समुदायों के पुरुषों ने उससे प्रेम का दिखावा कर शादी का वादा किया, लेकिन बाद में धोखा दिया. इस धोखे ने उसे इतना आहत किया कि उसने अब पुरुष समाज से पूरी तरह दूरी बना ली है. आशा कहती है, “कानूनी इजाजत नहीं मिली तो क्या हुआ, हमने अपने दिल की सुनी और मंदिर में शादी कर ली.”
वहीं “पत्नी” बनी ज्योति का कहना है, “हम जानते हैं कि हमारी शादी कानून की नजर में वैध नहीं है, लेकिन हमने एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का फैसला कर लिया है. अगर हमारे परिवार वाले हमें अपनाते हैं तो अच्छा है, नहीं तो हम खुद ही अपनी दुनिया बना लेंगे.”
आशा और ज्योति की यह कहानी सिर्फ दो लोगों के बीच का प्रेम नहीं, बल्कि समाज की सीमाओं को लांघकर अपने हक और आत्मसम्मान की तलाश का एक मजबूत उदाहरण है. इस जोड़ी ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार न तो लिंग देखता है, न ही समाज की सीमाएं.









