Ranchi : CUJ के शिक्षा विभाग और अर्थशास्त्र एवं विकास अध्ययन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आईसीएसएसआर प्रायोजित दो सप्ताह के सामाजिक विज्ञान में मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध प्राविधि पर कैपेसिटी डेवलेपमेंट प्रोग्राम (क्षमता विकास कार्यक्रम) का आज औपचारिक उद्घाटन हुआ। यह कार्यक्रम 01 दिसंबर 2025 से 13 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया जाएगा।
कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि, प्रो. सी बी शर्मा, कुलपति, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग ने कहा कि वो एनईपी से शुरुआत से जुड़े हुए हैं और उसके कार्यान्वयन को करीब से देखा है। कुछ प्रश्न उन्होंने रखे जिससे शोध और शिक्षा दोनों बेहतर हो सकें। उन्होंने कहा कि पॉलिसी एक जरूरी अंग है शोध का जो उसको रास्ता दिखाता है। पॉलिसी और प्लान एक दूसरे के पूरक हैं। इसलिए हमेशा भारत के सारे पॉलिसी, कमिशनों के रिपोर्ट, प्लान और प्रोग्राम को पढ़ना चाहिए और सही सवाल पूछने चाहिए ताकि बेहतर शोधार्थी और शिक्षक बन सकें। उन्होंने सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में फंडिंग को बढ़ाने पर जोर दिया; सिर्फ एक आइडिया समाज को बदल सकता है इसलिए उस पर खर्च किया जाना चाहिए। हमें प्रधानमंत्री जी से सीख लेकर सही बात करके शोध से देश को विकसित करने के लिए कार्य करना चाहिए और सच बोलने की शक्ति विकसित करें जिससे सही शोध हो सके।
प्रो. संतोष कुमार पंडा, पूर्व चेयरमैन – एनसीटीई एवं राष्ट्रीय फैलो, एनआईईपीए ने भी सीयूजे के कुलपति की सराहना की कि वे एक सच्चे मैनेजेरियल साइंटिस्ट हैं। उन्होंने कहा कि भारत देश में सामाजिक विज्ञान शोध अभी भी काफी कमजोर है जिस पर काफी कार्य करने की जरूरत है। हमें अकादमिक विश्वनीयता बनाए रखने के लिए कार्य करना चाहिए। एनईपी की मुख्य बात है शिक्षा को भारतीयता में ढालना और शोध को आगे बढ़ाना। उन्होंने सभी एनईपी के मुख्य बिंदुओं को अपनाने के लिए अपनी बात रखी और सीयूजे के परिसर और नैक ग्रेड पाने पर सराहना की।
CUJ : शिक्षा में शोध की बहुत जरूरत है
सीयूजे के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने अपनी अध्यक्षीय भाषण में दोनों सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा में शोध की बहुत जरूरत है क्योंकि जब आप नया ज्ञान अर्जित करेंगे तभी सभी विद्यार्थी भी ज्ञानी हो पाएंगे। आज के समय में शोध एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है इसलिए पर कार्य करना चाहिए। शोध के जरिए ही सीयूजे ने पिछले कुछ साल में कई करोड़ के शोध परियोजना करके समाज और विश्वविद्यालय को बदल रहे जिससे विश्वविद्यालय की विश्वनीयता भी बढ़ रही। शोध के साथ खुद देखने का नजरिया भी विकसित करें।
कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. तपन कुमार बसंतिया ने कार्यक्रम के बारे में सभी को जानकारी दी और सभी उपस्थित अतिथियों को बताया कि इस कार्यक्रम में भारत के 13 राज्यों से प्रतिभागी भाग ले रहे। इस कार्यक्रम के लिए 110 लोगों ने अप्लाई किया था जिसमें से 35 लोगों को सलेक्ट किया गया है। साथ ही उन्होंने पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा भी सभी को बताई। इस कार्यक्रम की सह संयोजक डॉ संहिता सुचरिता भी कार्यक्रम में मौजूद थी।
कार्यक्रम में सभी का औपचारिक स्वागत विश्वविद्यालय के कुलसचिव, के कोसल राव ने किया। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो. विमल किशोर सभी सम्मानित अतिथियों से सभी को परिचित कराया। मंच पर आसीन सभी सम्मानित अतिथियों को विश्वविद्यालय द्वारा अंगवस्त्र और स्मारिका देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई जिसे मंच कला संकाय के प्राध्यापक डॉ शिव कुमार के नेतृत्व में विभाग के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय का कुलगीत भी प्रस्तुत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा विभाग की सह प्राध्यापक, डॉ शशि सिंह ने दिया।










