World News: रूस के सुदूर पूर्वी प्रायद्वीप कामचटका में बुधवार तड़के भारतीय समयानुसार सुबह 4:54 बजे एक भीषण भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 8.8 मापी गई। यह 21वीं सदी का छठा सबसे बड़ा भूकंप माना जा रहा है। US जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र जमीन से मात्र 19.3 किलोमीटर गहराई में था, जिससे झटके बेहद शक्तिशाली साबित हुए। गवर्नर व्लादिमीर सोलोदोव ने इसे “दशकों का सबसे भयावह भूकंप” बताया।
वहीं, जापान के पूर्वी तट के पास एक फुट ऊंची पहली सुनामी लहरें पहुंची हैं। इस आपदा की गंभीरता को देखते हुए जापान ने भी सतर्कता बरतते हुए 20 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को एहतियातन खाली करा लिया है।
इतिहास में दर्ज हुआ रूस का ये भूकंप
रूस में आया यह 8.8 तीव्रता वाला भूकंप न केवल 2025 का सबसे शक्तिशाली भूकंप बन गया है, बल्कि यह 21वीं सदी का छठा सबसे बड़ा भूकंप भी साबित हुआ है। इसकी तीव्रता, व्यापक प्रभाव और भौगोलिक विस्तार ने इसे आधुनिक भूकंपीय इतिहास में विशेष स्थान दिया है।
भूकंप का एपिसेंटर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- एपिसेंटर: रूस के सुदूर पूर्वी हिस्से, कमचटका प्रायद्वीप के पास
- गहराई: लगभग 29 किलोमीटर, जो इसे एक शैलो (कम गहराई वाला) भूकंप बनाता है
- टेक्टोनिक कारण: यह इलाका प्रशांत प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मिलन बिंदु पर स्थित है — जिसे दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में गिना जाता है।
विज्ञानी इसे “सबडक्शन ज़ोन मेगाथ्रस्ट” भूकंप मानते हैं, जो अक्सर विनाशकारी होते हैं।
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सुनामी की चेतावनी और जापान का अलर्ट
भूकंप के तुरंत बाद समुद्र में उथल-पुथल मच गई और 4 मीटर तक ऊँची सुनामी की लहरें जापान के तट तक पहुँच गईं।
जापान सरकार ने तेजी से ऐक्शन लेते हुए लगभग 20 लाख लोगों को तटीय इलाकों से निकाला और ऊंचे स्थानों पर पहुँचाया।
अन्य बड़े भूकंपों से तुलना
वर्ष |
देश |
तीव्रता (रिक्टर स्केल) |
स्थिति |
| 2004 | इंडोनेशिया | 9.1 | 2,00,000+ मौतें |
| 2011 | जापान | 9.0 | फुकुशिमा न्यूक्लियर संकट |
| 2010 | चिली | 8.8 | सैकड़ों मौतें |
| 2005 | पाकिस्तान | 7.6 | भारी तबाही |
| 2023 | तुर्किये | 7.8 | हजारों जानें गईं |
| 2025 | रूस | 8.8 | 21वीं सदी का छठा सबसे शक्तिशाली भूकंप |
क्या भारत को खतरा है?
फिलहाल भारत के लिए कोई सीधा खतरा नहीं है, लेकिन भारतीय मौसम विभाग (IMD) तटीय इलाकों— विशेषकर अंडमान-निकोबार— पर नजर बनाए हुए है। समुद्र में उठी हलचल का प्रभाव आने वाले समय में देखा जा सकता है।
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