Ranchi News: झारखंड में शराब घोटाले के मामले में पहले से जेल में बंद पूर्व उत्पाद आयुक्त और निलंबित IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. अब वे हजारीबाग ज़िले की 2.75 एकड़ खासमहाल ज़मीन घोटाले में भी फंस सकते हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी में है और इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई है.
क्या है ज़मीन घोटाले का मामला?
यह मामला वर्ष 2008 से 2010 के बीच का है, जब विनय चौबे हजारीबाग के उपायुक्त थे. आरोप है कि इस दौरान खासमहाल की 2.75 एकड़ ज़मीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 23 निजी व्यक्तियों के नाम निबंधित कर दिया गया.
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ACB की प्रारंभिक जांच (PE), जो वर्ष 2015 में हुई थी, में यह स्पष्ट हुआ था कि यह ज़मीन 1948 में सेवायत ट्रस्ट को 30 साल की लीज पर दी गई थी, जिसकी अवधि 1978 में समाप्त हो गई थी. इसके बाद भूमि जस की तस पड़ी थी. लेकिन 2008-2010 के बीच फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए जमीन की प्रकृति बदल कर उसे निजी लोगों को बेच दिया गया.
IAS विनय चौबे पर क्या हैं आरोप?
विनय चौबे पर आरोप है कि उन्होंने लीज नवीनीकरण के आवेदन से जानबूझकर ट्रस्ट का नाम हटवाया. इसके बाद जमीन को 23 निजी व्यक्तियों के नाम निबंधित कर दिया गया, जिससे करोड़ों की संपत्ति का हेरफेर हुआ. इस दौरान झारखंड हाईकोर्ट के 2005 के आदेश की अवहेलना भी हुई, जिसमें साफ कहा गया था कि ट्रस्ट की भूमि को अन्य किसी को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता.
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ACB की अगली कार्रवाई
ACB ने अब राज्य सरकार के कैबिनेट निगरानी एवं सचिवालय विभाग को इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की अनुमति के लिए फाइल भेजी है. साथ ही, एसीबी ने चौबे से जुड़ी सभी लंबित जांचों की फाइलें दोबारा खोलनी शुरू कर दी हैं.
मौजूदा स्थिति:
विनय कुमार चौबे इस समय रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार में शराब घोटाले के सिलसिले में बंद हैं. इस ज़मीन पर आज बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो चुकी हैं.
शराब घोटाले के बाद अब भूमि घोटाले में फंसे IAS अधिकारी विनय चौबे पर कानून का शिकंजा और कसता जा रहा है. अगर सरकार से अनुमति मिलती है तो ACB जल्द ही FIR दर्ज कर उन्हें और अन्य संबंधित अधिकारियों को पूछताछ के लिए घेरे में ले सकती है.












