Nimisha Priya yemen case: केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है. अब जबकि उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई तय हो चुकी है, उन्हें बचाने की आखिरी उम्मीद है — ‘ब्लड मनी’ या ‘दियाह’, जो इस्लामी शरीयत कानून के तहत एक कानूनी प्रावधान है.
ब्लड मनी क्या है?
ब्लड मनी (दियाह) एक इस्लामी कानूनी व्यवस्था है जिसमें हत्या के मामलों में पीड़ित के परिवार को आर्थिक मुआवज़ा देकर क्षमा प्राप्त की जा सकती है. यह प्रावधान शरिया कानून के तहत आता है, जिसे यमन पूरी तरह से अपनाता है और ऐसा कुछ होने पर सरकार इसे मना नहीं कर सकता है.
क़ुरान की सूरह अल-बक़रा (2:178) में इसका उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि यदि पीड़ित के परिवार द्वारा क्षमा दी जाती है, तो उचित मुआवज़ा देकर अपराधी को मौत की सजा से बचाया जा सकता है. मुआवज़े की राशि स्थानीय परंपराओं, अपराध की प्रकृति और परिवार की सहमति पर निर्भर करती है.
निमिषा प्रिया का मामला
2008 में निमिषा यमन गई थीं, एक नर्स के रूप में काम करने के लिए.2015 में उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति तालाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया, क्योंकि यमन के कानून के अनुसार विदेशी नागरिकों को स्थानीय साझेदार की आवश्यकता होती है. परिवार के अनुसार, महदी ने निमिषा के दस्तावेज़ जब्त कर लिए, उनके साथ शारीरिक और मानसिक शोषण किया, और झूठे विवाह प्रमाणपत्र बनवाकर उन्हें बंधक बना लिया. फिर 2017 में, निमिषा ने महदी को बेहोश करने के लिए सेडेटिव इंजेक्शन दिया ताकि वह अपने दस्तावेज़ वापस ले सकें, लेकिन ओवरडोज़ से उसकी मौत हो गई.
शव को ठिकाने लगाने के प्रयास में, उन्होंने एक अन्य नर्स की मदद से शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया.जिसका पता लगते ही उन्हें गिरफ्तार किया गया और 2018 में मौत की सजा सुनाई गई. यमन की सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में सजा को बरकरार रखा.
ब्लड मनी की पेशकश
निमिषा की मां और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने $1 मिलियन (लगभग ₹8.5 करोड़) की पेशकश की है, जिसे Save Nimisha Priya International Action Council ने जुटाया है. पर अब तक पीड़ित परिवार की ओर से कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है. सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जे. भास्करन यमन में अंतिम प्रयास के तहत फिर से बातचीत शुरू करने जा रहे हैं.
यमन का कानूनी ढांचा
यमन में शरिया कानून ही प्रमुख कानूनी आधार है. हत्या के मामलों में मृतक के परिवार को क्षमा देने का अधिकार होता है.और यदि परिवार दियाह स्वीकार करता है, तो अदालत मौत की सजा को रद्द कर सकती है.यमन की राजधानी सना इस समय ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है, जिससे भारत सरकार की सीधी कूटनीतिक बातचीत मुश्किल हो गई है.
भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने कहा है कि वह स्थानीय अधिकारियों और निमिषा के परिवार के साथ लगातार संपर्क में है. विदेश मंत्रालय ने सभी संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है, लेकिन हूथी प्रशासन से कोई औपचारिक संबंध नहीं होने के कारण हस्तक्षेप सीमित है.
अब जबकि फांसी की तारीख नज़दीक है, निमिषा को बचाने की उम्मीद केवल पीड़ित परिवार की क्षमा और ब्लड मनी की स्वीकार्यता पर टिकी है. यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकार और कूटनीति की जटिलताओं को भी उजागर करता है.












