Ranchi News: झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने डोमिसाइल आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. रांची के मेकॉन स्थित शहीद स्थल और त्रिमूर्ति चौक पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वे बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं. यह आयोजन डोमिसाइल शहीद स्मारक समिति द्वारा किया गया था.
24 जुलाई 2002 की यादें फिर हुईं ताज़ा
सभा के दौरान मंत्री शिल्पी ने 24 जुलाई 2002 की उस दर्दनाक घटना को याद किया, जब संतोष कुंकल, विनय तिग्गा और कैलाश कुजूर ने झारखंड में स्थानीय नीति के समर्थन में अपने प्राणों की आहुति दी थी. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन झारखंड की अस्मिता से जुड़ा है और इसके शहीदों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता.
“अभी अधूरा है आंदोलन का मक़सद”
शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि डोमिसाइल आंदोलन के महानायकों का बलिदान आज भी अधूरा है. उन्होंने बताया कि हेमंत सोरेन सरकार ने वर्ष 2023 में 1932 आधारित खतियान पर स्थानीय नीति का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर राजभवन को भेजा था. लेकिन आज तक उस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
राजभवन पर लगाई गंभीरता नहीं दिखाने की बात
मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राजभवन इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहा है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह विषय झारखंडी पहचान और अधिकारों से जुड़ा है और इसमें देर न्याय से वंचना के समान है.
शहीदों को दर्जा और परिवार को सुविधा देने की मांग
डोमिसाइल शहीद स्मारक समिति ने सभा के दौरान शहीदों को आधिकारिक दर्जा देने और उनके परिजनों को सरकारी सुविधा प्रदान करने की मांग उठाई. मंत्री शिल्पी ने आश्वासन दिया कि वे इस मांग को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष रखेंगी. उन्होंने विश्वास जताया कि राज्य सरकार इस विषय को संज्ञान में लेकर उचित कदम उठाएगी.
भावनात्मक जुड़ाव जताया
शिल्पी नेहा तिर्की ने सभा के दौरान कहा कि उनका इस आंदोलन और स्थल से गहरा भावनात्मक जुड़ाव है. उन्होंने आंदोलन में शहीद हुए युवाओं को सच्चे नायक बताते हुए उनके संघर्ष को सलाम किया.
कई गणमान्य लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर संजय तिग्गा, बेलस तिर्की, शिवा कच्छप, जगदीश लोहरा, दीपू सिन्हा और जलील अंसारी समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता, नेता और आंदोलन से जुड़े लोग मौजूद रहे. सभी ने मिलकर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लिया.










