JharkhandNews: झारखंड की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। अटल मोहल्ला क्लिनिक का नाम बदलकर “मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लिनिक” रखने के फैसले ने भाजपा और सत्ताधारी झामुमो सरकार के बीच सियासी जंग छेड़ दी है।
इस मुद्दे को लेकर मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के बीच तीखी बयानबाज़ी देखने को मिल रही है।
डॉ. इरफान अंसारी का हमला: “गिरगिट ने आत्महत्या कर ली…”
झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भाजपा पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा:
“गिरगिट ने आत्महत्या कर ली… सुसाइड नोट में लिखा – इंसानों से ज़्यादा रंग मैं नहीं बदल सकता!”
डॉ. अंसारी ने बाबूलाल मरांडी को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्हें विकास और जनहित के किसी काम में अच्छाई नहीं दिखती।
उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग पर हमला सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।
उनका कहना है कि बाबूलाल मरांडी की राजनीति अब केवल नकारात्मकता, आलोचना और धार्मिक ध्रुवीकरण पर आधारित रह गई है।
उन्होंने मरांडी को सलाह दी कि “थोड़ा गंभीर बनिए – यही आपकी उम्र और ओहदे की मांग है।”
Read More: डोमिसाइल आंदोलन का अधूरा सपना: शहीदों को याद कर भावुक हुईं मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की
भाजपा का पलटवार: “अटल जी का अपमान बर्दाश्त नहीं”
भाजपा ने सरकार के फैसले को “तुष्टिकरण और तुच्छ मानसिकता का परिणाम” बताया है।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा:
“श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी झारखंड राज्य के निर्माता रहे हैं। उनका नाम हटाना पूरे झारखंड की आत्मा का अपमान है।”
उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब झामुमो सरकार ने राष्ट्रनायकों के नाम और सम्मान से छेड़छाड़ की हो।
“सरकार को अगर नई योजना लानी है तो उसका नाम कुछ भी रखें, लेकिन पहले से स्थापित योजनाओं को बदलना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
Read More: अनिल अंबानी के ठिकानों पर ED का शिकंजा: 3,000 करोड़ लोन घोटाले में देशभर में छापेमारी
विवाद के पीछे की राजनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा सिर्फ नाम बदलने का नहीं, बल्कि राजनैतिक अस्तित्व, पहचान की लड़ाई और ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा है।
जहां भाजपा इसे अटल जी की विरासत का मामला बता रही है, वहीं झामुमो इसे विपक्ष की संकीर्ण सोच और अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडे से जोड़ रहा है।
सवाल यह है कि क्या स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के बजाय उसका नामकरण बदलना ही प्राथमिकता है?
और क्या जनता इस राजनीतिक रंगबाज़ी से तंग नहीं हो चुकी है?
गिरगिट के बहाने तंज और श्रद्धेय नेताओं के नाम पर राजनीति — झारखंड की जनता अब जवाब मांग रही है।







