National News: 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर (रविवार) की रात लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) होगा, जो वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, फिर भी इसके खगोलीय और धार्मिक पहलुओं को लेकर चर्चा तेज है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर उसकी रोशनी को कुछ समय के लिए बाधित करता है। इस दौरान चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है, जिससे सूर्य का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है। यह ग्रहण आंशिक होगा, यानी सूर्य का कुछ हिस्सा ही ढकेगा।
ग्रहण का समय (भारतीय समयानुसार)
- ग्रहण शुरू: 21 सितंबर, रात 10:39 बजे
- ग्रहण समाप्त: 22 सितंबर, सुबह 3:29 बजे
- कुल अवधि: लगभग 4 घंटे 50 मिनट
भारत में दृश्यता और सूतक काल
यह आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा और धार्मिक रूप से भी इसका कोई प्रभाव नहीं माना जाएगा। फिर भी, खगोलीय प्रेमियों और ज्योतिषियों के लिए यह घटना रोचक बनी हुई है।
ज्योतिषीय मान्यता
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह ग्रहण केतु के प्रभाव में लग रहा है। ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है। मान्यता है कि जब ये ग्रह सूर्य या चंद्रमा के समीप आते हैं, तो ग्रहण की स्थिति बनती है। हालांकि, भारत में दृश्यता न होने के कारण यह ज्योतिषीय प्रभाव नहीं डालेगा।
दुर्लभ खगोलीय संयोग
इस साल का यह सूर्य ग्रहण विशेष इसलिए भी है क्योंकि:
- यह पितृपक्ष की अमावस्या और महालया के दिन लगेगा।
- इससे पहले 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगा था।
- इस तरह, पितृपक्ष की शुरुआत और अंत दोनों ही ग्रहणों से जुड़े हैं, जिसे ज्योतिष में दुर्लभ खगोलीय संयोग माना गया है।











