Ranchi News: राजधानी रांची में रविवार को महज आधे घंटे की बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी. मानसून की दस्तक के साथ ही कोकर, हरमू, अपर बाजार, डोरंडा, लालपुर और हिंदपीढ़ी जैसे कई प्रमुख इलाके जलमग्न हो गए. नालियों के ओवरफ्लो होने से गंदा पानी घरों और दुकानों तक घुस गया, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.
मुख्यमंत्री के निर्देश भी साबित हुए बेअसर
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानसून से पहले ही नगर निगम और जिला प्रशासन को साफ निर्देश दिए थे कि सभी प्रमुख नाले-नालियों की सफाई युद्धस्तर पर कराई जाए. साथ ही चिन्हित जलजमाव वाले इलाकों की लगातार निगरानी के आदेश भी दिए गए थे. लेकिन रविवार की बारिश ने सरकार और प्रशासन के सारे दावों की हकीकत सामने ला दी.
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निगम का दावा, लेकिन हकीकत अलग
रांची नगर निगम का दावा है कि बड़े नालों की सफाई पूरी की गई है और लगातार टीम निगरानी में है. निगम की सहायक प्रशासक निहारिका तिर्की के अनुसार, “बारिश के दौरान सफाईकर्मी तैनात थे और कुछ जगहों पर स्थिति सामान्य से अधिक खराब हो गई थी, जिसे जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा.”
हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम की टीमें केवल बारिश के बाद ही सक्रिय होती हैं. कोकर के निवासी आकाश कुमार ने कहा, “नालियों की समय रहते सफाई नहीं होती. हम हर साल यही झेलते हैं. निगम वाले सिर्फ कागजों पर काम करते हैं.”
कचरे से भरी नालियां बनीं मुसीबत की जड़
जलभराव की सबसे बड़ी वजह रही अधूरी नाला सफाई. प्लास्टिक, मिट्टी और कचरे से भरी नालियों ने जलनिकासी पूरी तरह बाधित कर दी. परिणामस्वरूप सड़कें तालाब में तब्दील हो गईं. बाइक, ऑटो और रिक्शा पानी में फंसते दिखे. कई स्कूलों के बच्चों और ऑफिस से लौटते कर्मचारियों को घुटनों तक पानी से होकर गुजरना पड़ा. दुकानों में पानी घुसने से व्यापारियों को भी नुकसान झेलना पड़ा.
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रांची में जलजमाव की यह स्थिति कोई नई नहीं है, लेकिन हर साल मानसून से पहले किए गए वादे और दावे सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रह जाते हैं. जब तक नगर निगम स्थायी समाधान नहीं निकालता, तब तक राजधानी यूं ही पानी में डूबती रहेगी.










