हम अक्सर सुनते हैं – “समय हर घाव भर देता है.” यह वाक्य उन पलों में कहा जाता है जब कोई व्यक्ति गहरे भावनात्मक दर्द से गुजर रहा होता है. दिल टूटने, किसी अपने को खोने, या किसी मानसिक आघात के समय लोग यह उम्मीद लगाते हैं कि बस समय बीतेगा और सब ठीक हो जाएगा. लेकिन क्या वाकई सिर्फ समय बीतने से घाव भरते हैं?
सिर्फ समय देना काफी नहीं है
अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक चोट लगे और वह उसका इलाज न कराए, तो क्या वह चोट अपने आप ठीक हो जाएगी? शायद नहीं. उसी तरह, भावनात्मक और मानसिक घाव भी होते हैं जिन्हें सिर्फ समय के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. जब तक हम अपने दर्द को समझते नहीं, स्वीकार नहीं करते और उससे निपटने के लिए कदम नहीं उठाते, तब तक वह घाव भीतर ही भीतर गहराता रहता है.
भावनाओं को दबाना नहीं, स्वीकार करना ज़रूरी
कई लोग अपने दुख को नजरअंदाज करते हैं और सोचते हैं कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. लेकिन जब भावनाओं को दबाया जाता है, तो वे मन के भीतर जमा होती रहती हैं. इसका परिणाम कई बार मानसिक तनाव, चिंता, या अवसाद के रूप में सामने आता है. कुछ लोग खुद को ही अपनी स्थिति का दोष देने लगते हैं, जबकि कुछ खुद को दुनिया से अलग कर लेते हैं.
घाव भरने के लिए क्या करें?
- अपनी भावनाओं को स्वीकार करें: सबसे पहले यह मानें कि आप दुखी हैं और आपको मदद की ज़रूरत है. यह कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है.
- अपनों से बात करें: किसी भरोसेमंद व्यक्ति से अपने दर्द को साझा करना बेहद राहत देने वाला हो सकता है.
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: ध्यान, योग, व्यायाम, संतुलित आहार और नींद से मानसिक शांति मिलती है.
- जरूरत पड़े तो प्रोफेशनल मदद लें: अगर दर्द लंबे समय तक बना रहता है, तो मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से बात करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है.
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समय अपने आप घाव नहीं भरता, बल्कि उसे भरने के लिए हमें खुद पहल करनी पड़ती है. सही सोच, सही प्रयास और सही समर्थन के साथ समय ज़रूर घाव भरने में मदद करता है. अगर आप या आपका कोई करीबी किसी गहरे दर्द से गुजर रहा है, तो सिर्फ समय पर छोड़ने के बजाय उसे समझें, उसका साथ दें और ज़रूरत पड़ने पर मदद लें.











