Donald Trump on Iran: पश्चिम एशिया में 12 दिनों तक चले भीषण संघर्ष के बाद ईरान और इज़रायल के बीच आखिरकार सीज़फायर लागू हो गया है. लेकिन शांति की इस कोशिश को उस वक्त झटका लगा जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक तीखा बयान देते हुए कहा कि “अगर ज़रूरत पड़ी, तो अमेरिका ईरान पर दोबारा हमला करने से पीछे नहीं हटेगा.”
ट्रंप का दावा: ईरान के न्यूक्लियर प्लांट तबाह
ट्रंप ने दावा किया कि हालिया अमेरिकी हवाई हमलों में ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है. हालांकि को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि “हमारी परमाणु क्षमताओं को कोई ठोस नुकसान नहीं पहुंचा है.”
परमाणु हथियारों को लेकर बढ़ी चिंता
– अमेरिका और इज़रायल की सबसे बड़ी चिंता यह है कि ईरान कहीं उत्तर कोरिया या पाकिस्तान की तरह परमाणु शक्ति संपन्न देश न बन जाए.
– ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि “हमारे कार्यक्रम सुरक्षित हैं और हम पीछे नहीं हटेंगे.”
– अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि ईरान को गंभीर रणनीतिक क्षति पहुंची है.
विरोधाभासी दावे और खुफिया उलझन
– अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि संवर्धित यूरेनियम को हमलों से पहले हटाया नहीं गया था.
– इज़रायली सूत्रों के अनुसार, यह यूरेनियम अब भी इस्फहान की भूमिगत सुरंगों में मौजूद है.
– वहीं व्हाइट हाउस का कहना है कि “ऐसा कोई सबूत नहीं है” कि यूरेनियम अब भी ईरान में है.
वैश्विक परमाणु संतुलन पर खतरा
स्वीडन स्थित थिंक टैंक SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 3,904 सक्रिय परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 90% अमेरिका और रूस के पास हैं. भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी इस सूची में शामिल हैं. अगर ईरान भी इस सूची में जुड़ता है, तो यह वैश्विक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है.
गाजा संघर्ष और अब्राहम समझौते की दिशा
इज़रायल और हमास के बीच गाजा युद्ध अब समाप्ति की ओर है. अमेरिका, इज़रायल, UAE और मिस्र के बीच हुए राजनयिक समझौतों के तहत गाजा में एक संयुक्त प्रशासनिक ढांचा प्रस्तावित किया गया है. इसे अब्राहम समझौते के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखना है.












