National News: अहमदाबाद विमान हादसा में जहां चारों ओर आग, धुआं और चीख-पुकार… लेकिन इस डरावने मंजर के बीच एक चमत्कार ने सबको हैरान कर दिया. एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर VT-ANB की उस फ्लाइट में जब लगभग सभी यात्री हादसे की चपेट में आ गए, तब सीट नंबर 11A पर बैठे विश्वास कुमार रमेश न सिर्फ जिंदा बचे, बल्कि उन्हें केवल मामूली चोटें आईं.
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अब सबसे बड़ा सवाल उठता है—क्या वाकई कोई सीट आपकी जान बचा सकती है?
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क्या खास थी सीट 11A?
एयर इंडिया की यह फ्लाइट एक बोइंग ड्रीमलाइनर थी, और सीट 11A विमान के इकॉनॉमी सेक्शन की शुरुआत में, बाईं ओर खिड़की वाली पहली सीट थी. यह सीट न केवल आरामदायक थी, बल्कि तकनीकी रूप से एक ‘सेफ जोन’ भी मानी जाती है.
विशेषताएं जो सीट 11A को बनाती हैं सुरक्षित:
विंडो सीट – विमान की साइड में होने से बाहरी दीवार से जुड़ी होती है, जिससे रेस्क्यू टीम को वहां जल्दी पहुंचने का रास्ता मिलता है.
स्ट्रक्चरल मजबूती – विमान के आगे के हिस्से और विंडो सीटों का ढांचा आमतौर पर ज्यादा मजबूत होता है.
एग्जिट के पास – अगर यह सीट इमरजेंसी गेट के पास थी, तो इससे बाहर निकलना आसान हो गया होगा.
मिडबॉडी से थोड़ा आगे – हादसे के दौरान विमान का आगे और बीच का हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. यह सीट उस ज़ोन से थोड़ी सुरक्षित दूरी पर थी.
आंकड़े क्या कहते हैं?
एविएशन सुरक्षा से जुड़ी रिपोर्ट्स के अनुसार:
फ्लाइट के पीछे की सीटों पर बैठे यात्रियों के बचने की संभावना होती है करीब 69%. विंडो सीट और इमरजेंसी एग्जिट के पास होने से यह संभावना और बढ़ जाती है. हालांकि, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दुर्घटना के वक्त किस्मत, सतर्कता, और सीट की पोजिशन—तीनों मिलकर जान बचाने में भूमिका निभाते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि कोई सीट 100% सुरक्षित नहीं होती, लेकिन कुछ स्थानों पर बैठना हादसों की स्थिति में आपकी जान बचाने की संभावना को बढ़ा सकता है.