Khabar Mantra: अक्षय तृतीया का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है और इसे “अक्षय” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “जो कभी नष्ट नहीं होता”. इस दिन को शुभ मानते हुए लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं, जैसे कि विवाह, खरीददारी, और निवेश.
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इस साल 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 7:49 बजे से लेकर दोपहर 12:23 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय भी शुभ माना जाता है.
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अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया का महत्व कई धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ा हुआ है. यह दिन विशेष रूप से धन और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
- धन की देवी लक्ष्मी: कहा जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के साथ विवाह किया था, इसलिए इसे समृद्धि और धन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
- महाभारत: महाभारत के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था, जिससे उन्हें अनंत भोजन प्राप्त होता था.
- नए कार्यों की शुरुआत: इस दिन नए व्यवसाय या निवेश करने से सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है.
अक्षय तृतीया के पीछे की कहानी
अक्षय तृतीया के पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं:
- महाभारत कथा:
जब पांडव वनवास में थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें एक अद्भुत पात्र दिया था जो कभी खाली नहीं होता था. यह पात्र उन्हें अनंत भोजन प्रदान करता था.
- सत्य युग की कथा:
कहा जाता है कि सत्य युग में इस दिन देवी गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं.
इन कहानियों के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि अक्षय तृतीया केवल एक त्योहार नहीं बल्कि समृद्धि और खुशियों का प्रतीक भी है.
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अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं
- पूजा-अर्चना: लोग घर में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते है.
- नई चीजें खरीदना: सोने-चांदी या अन्य मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी करना.
- दान-पुण्य: जरूरतमंदों को दान देना या किसी सामाजिक कार्य में भाग लेना.
- विवाह समारोह: इस दिन विवाह करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
अक्षय तृतीया एक ऐसा पर्व है जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.