Ranchi News: झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड डिप्लोमा स्तरीय संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा 2020-21 के पेपर लीक मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा परीक्षा एजेंसी विंसेस टेक्नोलॉजी को ब्लैकलिस्ट करने के आदेश को खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने JSSC पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाते हुए एजेंसी की बैंक गारंटी ₹41 लाख और लंबित बिल ₹2.90 करोड़ का भुगतान चार सप्ताह के भीतर 7% ब्याज के साथ करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी कंपनी को केवल पुलिस रिपोर्ट के आधार पर आजीवन ब्लैकलिस्ट नहीं किया जा सकता.
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क्या था मामला?
3 जुलाई 2022 को रांची, बोकारो और पूर्वी सिंहभूम में डिप्लोमा स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई थी. लेकिन पेपर लीक की शिकायत के बाद 25 जुलाई 2022 को यह परीक्षा रद्द कर दी गई थी. इसके बाद JSSC ने एजेंसी विंसेस टेक्नोलॉजी को दोषी मानते हुए उसे काली सूची में डाल दिया था.
एजेंसी ने कोर्ट में अपील करते हुए कहा कि उन्होंने सीलबंद पेपर सभी परीक्षा केंद्रों पर निर्धारित समय पर पहुंचाया था और उनकी कोई संलिप्तता नहीं है. पुलिस ने 2024 में रिपोर्ट दी जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि कंपनी के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई ठोस प्रमाण नहीं है और अभी तक चार्जशीट भी दाखिल नहीं हुई है.
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि केवल एक प्रारंभिक पुलिस रिपोर्ट के आधार पर एजेंसी को दोषी ठहराना न्यायोचित नहीं है. कोर्ट ने JSSC को आदेश दिया कि यदि कंपनी की सिक्योरिटी मनी जब्त की गई है, तो वह भी वापस की जाए.
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JSSC की दलील
JSSC की ओर से अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि पेपर लीक के कारण परीक्षा को रद्द करना पड़ा, इसलिए कंपनी के बिल का भुगतान नहीं किया गया. लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि बिना ठोस सबूत के ब्लैकलिस्ट करना कानून सम्मत नहीं है.










