Deoghar fodder scam: देवघर चारा घोटाले से जुड़ा एक पुराना मामला एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के लिए कानूनी संकट बनकर सामने आया है. झारखंड हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की उस अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है, जिसमें लालू यादव समेत तीन दोषियों की सजा बढ़ाने की मांग की गई है.
CBI ने क्यों की सजा बढ़ाने की मांग?
CBI का कहना है कि देवघर कोषागार से अवैध निकासी जैसे गंभीर आर्थिक अपराध में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा पर्याप्त नहीं है. एजेंसी का तर्क है कि यह घोटाला न सिर्फ सरकारी धन की लूट है, बल्कि इससे आम जनता के भरोसे को भी गहरा आघात पहुंचा है. ऐसे में अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोषियों को अधिकतम सजा मिलनी चाहिए ताकि एक सख्त संदेश दिया जा सके.
किन-किन दोषियों की सजा पर उठे सवाल?
यह मामला देवघर ट्रेजरी से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है, जिसमें लालू यादव के अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी बेक जूलियस और पूर्व कोषागार अधिकारी सुवीर भट्टाचार्य को भी दोषी ठहराया गया था. निचली अदालत ने सभी को साढ़े तीन साल की सजा और 5-5 लाख रुपये जुर्माना सुनाया था. वहीं, इसी मामले में पूर्व लोक लेखा समिति के अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
CBI की दलील: मास्टरमाइंड को मिली कम सजा
CBI की ओर से पेश अधिवक्ता दीपक कुमार भारती ने अदालत में तर्क दिया कि लालू प्रसाद यादव इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड थे, बावजूद इसके उन्हें सह-आरोपियों से भी कम सजा मिली. उन्होंने कहा कि जब सह-अभियुक्तों को 7 साल की सजा दी जा सकती है, तो मास्टरमाइंड को सिर्फ साढ़े तीन साल की सजा न्यायसंगत नहीं है.
राजनीतिक असर: चुनाव से पहले आरजेडी को बड़ा झटका
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों में अब सिर्फ तीन महीने बाकी हैं. ऐसे में हाईकोर्ट में शुरू हुई यह नई कानूनी प्रक्रिया RJD के लिए बड़ा झटका बन सकती है. अगर कोर्ट CBI की मांग को स्वीकार कर सजा बढ़ा देता है और लालू यादव को दोबारा जेल जाना पड़ता है, तो पार्टी की चुनावी रणनीति पर सीधा असर पड़ सकता है.
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क्या होगा आगे?
झारखंड हाईकोर्ट की जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ ने CBI की अपील को सुनवाई योग्य मानते हुए विस्तृत सुनवाई की मंजूरी दे दी है. अब अगली सुनवाई की तारीख तय की जाएगी, जहां दोनों पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनी जाएंगी.












