Ranchi Rath Mela 2025: रांची में हर साल की तरह इस बार भी नौ दिवसीय रथ मेला का आयोजन बड़े धूमधाम से शुरू हो गया है. मोला शुरु होते ही मेले में भक्तों और परिवारों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. लोग दूर-दूर से अपने परिवार के साथ रथ यात्रा और मेले का आनंद लेने पहुंच रहें है.
सुबह से ही मौसीबाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. बता दें, मंदिर का पट सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक और फिर दोपहर 3 बजे से रात 8:30 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है. इस दौरान भक्तों ने भगवान के दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की.
बारिश में भी नहीं रुका उत्साह
हालांकि बारिश बीच-बीच में खलल डाल रहा है, लेकिन भक्तों और मेले में पहुंचे लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है. शनिवार को शाम होते-होते भी मेला स्थल पर भीड़ बनी रही. मेले में माचिस वाली बंदूक, रंग-बिरंगे चश्मे, लाइट वाले खिलौने और बांसुरी खूब लोगों का मन मोह रहा है.
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पारंपरिक खरीदारी और मनोरंजन का केंद्र
मेले की एक बड़ी खासियत है पारंपरिक सामान की उपलब्धता, जो रांची ही नहीं बल्कि झारखंड, बिहार, बंगाल और ओडिशा से आए लोगों को आकर्षित कर रही है. यहाँ पर पारंपरिक चौकी, बेलन, बर्तन, कृषि उपकरण जैसे कुदाल, बेलचा, सब्बल जैसी वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हैं.
मनोरंजन के सामान जैसे मांदर, ढोलकी, नगाड़ा, बांसुरी, साथ ही लोहे के औजार, शील-पत्थर, बांस की टोकरियाँ, मोढ़ा, पूजन सामग्री और पीतल, कांसा व एल्यूमीनियम के बर्तन भी खूब बिक रहे हैं. पारंपरिक हथियार जैसे फारसा, भुजाली, भाला, कटारी, बरछी और तीर-धनुष भी मेले में उपलब्ध हैं.
हस्तशिल्प और कारीगरों को मंच
मेला स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्प को भी बढ़ावा दे रहा है. मांडर से आयीं पुनी देवी ने बताया कि ‘पइला’ जैसी पारंपरिक चीजों की मांग आज भी बनी हुई है. झालदा से आये कुम्हार लकड़ी के चकला-बेलन लेकर पहुंचे हैं जो विभिन्न आकारों में उपलब्ध हैं.
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छोटे दुकानदारों की चिंता
हालांकि मेले में दुकानें सज गई हैं, लेकिन छोटे दुकानदार किराये की ऊँची दरों से परेशान हैं.










