रांची: झारखंड में कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने का विरोध लगातार आदिवासी संगठन के तरफ से किया जा रही है। राजधानी रांची समेत पूरे प्रदेश में संगठन के द्वारा व्यापक तौर पर इसका विरोध भी हो रहा है। हाल ही में रामगढ़, ईचागढ़ में यह विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। तो दूसरी ओर आदिवासी कुड़मी समाज के द्वारा 3 अक्टूबर को जमशेदपुर में एक महत्व पूर्ण बैठक होनी है। इसे देखते हुए आदिवासी अस्तित्व बचाव मोर्चा के तरफ से 5 अक्टूबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में भी आदिवासी संगठन एकजूट होंगे। तो इधर राजधानी रांची के सिरमटोली सरना स्थल में आदिवासी संगठनों की आज एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि रांची में 17 अक्टूबर को भी एक बैठक आयोजित होगी।
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कई आदिवासी संगठनों के नेता हुए शामिल
आज के बैठक में झारखंड के विभिन्न जनजातीय समाजों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि आदिवासियत को मिटाने की साजिश कभी सफल नहीं होगी। बैठक में मुंडा, उरांव, भूमिज, बेदिया, लोहरा, संथाल, महली, करमाली और गौड़ समाज समेत कई आदिवासी संगठनों के नेता और सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए। सभी ने कहा कि देश के असली मालिक आदिवासी हैं और अपनी परंपरा, संस्कृति व पहचान की रक्षा के लिए हर स्तर पर लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से संघर्ष जारी रहेगा।
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पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने की बैठक की अध्यक्षता
बैठक की अध्यक्षता पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने की। इस दौरान पूर्व मंत्री देवकुमार धान, टीएससी सदस्य नारायण उरांव, जिला परिषद सदस्य सरस्वती बेदिया, प्रेमशाही मुंडा, ओमप्रकाश मुर्मु, हीरालाल मुर्मु, बिनोद बेदिया, चंपा कुजूर, अलविन लकड़ा और पवन तिर्की समेत सैकड़ों प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में प्रतिनिधियों ने हाल ही में रामगढ़ में आयोजित आदिवासी आक्रोश मार्च की समीक्षा की और कहा कि उस जनजागरूकता अभियान से साफ हो गया है कि पूरे झारखंड का आदिवासी समाज इस मुद्दे पर एकजुट है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस आंदोलन को और व्यापक बनाया जाएगा।
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अनुशासित और संवैधानिक दायरे में रहकर किया जाएगा विरोध
बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। इसमें राज्यस्तरीय आंदोलन की शुरुआत, गांव-गांव में सामाजिक बैठक कर जनजागरूकता अभियान चलाना, आंदोलन के संचालन के लिए कोर कमेटी का गठन करना और राष्ट्रपति से मुलाकात कर स्थिति से अवगत कराना प्रमुख है। प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष पूरी तरह अनुशासित और संवैधानिक दायरे में रहकर ही आगे बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि राजधानी रांची में निकट भविष्य में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया जाएगा। इसमें हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग जुटकर कुड़मी को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के प्रयासों का कड़ा विरोध करेंगे।
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