रांची. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा और जातीय जनगणना पर झामुमो की ओर से लगाए गए आरोपों ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा केंद्र पर पॉपुलेशन हैकिंग की योजना का आरोप लगाने के बाद, भारतीय जनता पार्टी ने तीखा हमला बोला है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री मनोज सिंह ने झामुमो के बयान को राष्ट्रविरोधी, संकीर्ण और तुष्टिकरण से ग्रसित मानसिकता का प्रतीक बताते हुए करारा जवाब दिया है।
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सरकार कर रही पॉपुलेशन हैकिंग की तैयारी – झामुमो
बता दें कि आज JMM के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जनगणना को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मोबाइल डिजिटल गैजेट्स से होने वाली जनगणना नागरिकों की निजता पर हमला है और सरकार जातीय आंकड़ों के साथ पॉपुलेशन हैकिंग की साजिश रच रही है।
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राष्ट्र विरोधी बयान दे रहे झामुमो के प्रवक्ता- भाजपा
इस पर पलटवार करते हुए BJP नेता मनोज सिंह ने झारखंड मुक्ती मोर्चा को भारत की छवि खराब करने वाला और असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी विदेशी धरती पर भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं और विश्व में भारत की ताकत का प्रतीक बन चुके हैं, तब इस तरह के बयान सिर्फ संकीर्ण राजनीति और घरेलू असुरक्षा का प्रदर्शन हैं।
राजनीति की गंदी चाल चल रही झामुमो
मोदी जी अब केवल भाजपा के नेता नहीं, बल्कि भारत की आत्मा के प्रतिनिधि हैं। जब दुनिया उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान दे रही है, तब झामुमो जैसा दल राजनीति की गंदी चालें चल रहा है, मनोज सिंह ने जातीय जनगणना को लेकर झामुमो के आपत्ती पर उन्होंने कहा कि JMM को डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था से डर लग रहा है। जनगणना तो अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन झामुमो की घबराहट पहले ही दिख रही है। ये वही पार्टी है, जिसने कोविड टीकाकरण के समय अफवाहें फैलाने की कोशिश की थी, मनोज सिंह ने आगे कहा कि झारखंड की योजनाएं तेजी से डिजिटल हो रही हैं और इससे तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दल बौखलाए हुए हैं। पॉपुलेशन हैकिंग डिजिटल टेक्नोलॉजी से नहीं होती, ये उस तुष्टिकरण की उपज है जो दशकों से कांग्रेस और झामुमो जैसे दलों की राजनीति में मौजूद है।
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झारखंड की राजनीति में आएगी और गर्मी
ध्यान रहे कि जहां एक ओर BJP इसे राष्ट्रहित में उठाया गया कदम मान रही है, वहीं JMM इसे राजनीतिक गणित साधने की चाल बता रहा है। लेकिन इस राजनीतिक टकराव में साफ है कि जातीय जनगणना और डेटा की पारदर्शिता जैसे मुद्दे आने वाले समय में झारखंड की राजनीति को और भी गरमाएंगे।