तेज़ी से बढ़ रही दिल की बीमारियाँ: आंकड़े डराने वाले हैं…भारत में दिल की बीमारियाँ अब बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहीं। 30 से 40 साल की उम्र के युवाओं में भी हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हाई बीपी जैसी समस्याएँ सामान्य होती जा रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, हर तीसरा भारतीय हृदय संबंधी रोगों से प्रभावित है या भविष्य में इसके जोखिम में है।
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आँकड़ों की जुबानी: हर मिनट जा रही है एक जान
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर 33 सेकंड में एक व्यक्ति हृदय रोगों से दम तोड़ रहा है।
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साल 2010 में जहाँ हार्ट अटैक के मामले मुख्य रूप से 50 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखे जाते थे, वहीं 2024 में 30 वर्ष की उम्र के बाद भी लोग अचानक कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं।
बदलती जीवनशैली: असली गुनहगार कौन?
जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन
नींद की कमी और स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल
नशे की लत – जैसे सिगरेट, शराब, और ड्रग्स
फिजिकल एक्टिविटी की कमी – घर और ऑफिस में बैठकर काम करना
डिजिटल डिपेंडेंसी – कम नींद, ज़्यादा स्क्रीन टाइम
परिवार में इतिहास भी बढ़ाता है रिस्क
अगर आपके परिवार में किसी को हृदय रोग रहा है, तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे लोगों को हर 6 महीने में ईसीजी और ब्लड प्रेशर जांच ज़रूर करवानी चाहिए।
क्या करें बचाव के लिए?
रोज़ कम से कम 30 मिनट वॉक या एक्सरसाइज करें
खाने में फल, हरी सब्जियाँ और कम नमक-शक्कर लें
तनाव कम करें – मेडिटेशन और पर्याप्त नींद लें
शराब, सिगरेट और तले-भुने खाने से दूरी बनाएं
नियमित हेल्थ चेकअप को अनदेखा ना करें
आज सुधारेंगे, तभी कल बच पाएंगे
दिल की बीमारी एक ‘साइलेंट किलर’ है। यह तब तक महसूस नहीं होती जब तक जानलेवा हमला न हो जाए। इसीलिए समय रहते सतर्क रहना, जीवनशैली में बदलाव लाना और नियमित स्वास्थ्य जांच ही इसका सबसे बड़ा इलाज है।