Jharkhand: कुमारधुबी-निरसा विधानसभा क्षेत्र में अवैध कोयला खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। भले ही समय-समय पर प्रशासन और पुलिस द्वारा कार्रवाई की जाती रही हो, लेकिन कोयला माफिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा रिपोर्टों के अनुसार, बंगाल से बड़ी संख्या में मजदूरों को बुलाकर खतरनाक तरीके से कोयले की कटाई करवाई जा रही है।
प्रमुख अवैध खनन क्षेत्र
- डुमरी जोड़ (चिरकुंडा थाना क्षेत्र)
- कारगिल खदान (पचेत ओपी क्षेत्र)
- बरमुरी ओसीपी (बीसीसीएल क्षेत्र)
इन सभी स्थानों पर अवैध खनन बेरोकटोक जारी है। स्थानीय अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन और खनन प्रबंधन द्वारा खानापूर्ति के लिए कुछ अवैध मुहानों की भराई जरूर की गई, लेकिन कुछ ही दिनों में वही मुहाने फिर से खोल दिए जाते हैं और खनन का कार्य शुरू हो जाता है।
प्रशासन और सुरक्षा बल की भूमिका पर उठते सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब इन क्षेत्रों में केंद्रीय सुरक्षा बल की टीम तैनात है, तो फिर अवैध खनन पर समय रहते रोक क्यों नहीं लगाई जाती? क्या यह मिलीभगत का संकेत है? क्या प्रशासन और प्रबंधन की ओर से केवल मीडिया की सुर्खियों में आने के बाद ही कार्रवाई की जाती है?
बीसीसीएल प्रबंधन की प्रतिक्रिया
बीसीसीएल के महाप्रबंधक शशि भूषण कुमार से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा:
“अवैध कोयला उत्खनन के मुहानों की पहचान कर भराई का कार्य निरंतर जारी रहेगा।”
हालांकि, ज़मीनी हकीकत इससे अलग है। मुहानों की भराई के कुछ ही दिनों बाद वे फिर से सक्रिय हो जाते हैं और खनन माफिया पूरे तंत्र को मैनेज कर अवैध कार्य को पुनः चालू कर देते हैं।
अवैध कोयला खनन के खिलाफ कार्रवाई केवल एक दिखावा बनकर रह गई है। प्रशासनिक उदासीनता और माफिया-प्रबंधन गठजोड़ के कारण क्षेत्र में न सिर्फ राजस्व की भारी क्षति हो रही है बल्कि मजदूरों की जान को भी खतरा बना हुआ है। जब तक इस पर कड़ी और स्थायी कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह सिलसिला थमता नहीं दिख रहा।







