Jharkhand: झारखंड सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को ग्रामीण विकास का प्रमुख साधन बनाते हुए इस वर्ष कम से कम 2 लाख परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य की ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने यह बड़ा ऐलान एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान किया।
मनरेगा: गांवों की रीढ़ और सम्मान का प्रतीक
बैठक में मंत्री ने साफ कहा, “मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह गांवों की रीढ़ और ग्रामीणों की गरिमा से जुड़ा मामला है। इसे मिशन मोड में लागू किया जाएगा और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
पिछले वर्षों में लक्ष्य से अधिक हुआ रोजगार सृजन
वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में झारखंड ने मनरेगा के तहत निर्धारित मानव दिवस के लक्ष्य से अधिक रोजगार सृजित किया है। सरकार अब लंबित योजनाओं को प्राथमिकता देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में काम कर रही है।
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‘काम मांगो अभियान’ पंचायत स्तर पर होगा नियमित
मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि हर पंचायत में ‘काम मांगो अभियान’ को नियमित रूप से चलाया जाए, ताकि ज़रूरतमंद परिवारों तक योजना का लाभ पहुंचे। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील की।
मनरेगा कर्मियों के मानदेय में जल्द बढ़ोतरी
संविदाकर्मी मनरेगा कर्मियों के मानदेय में बढ़ोतरी को लेकर भी सरकार सक्रिय है। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी प्रक्रियाएं जल्द पूरी कर कर्मियों को सम्मानजनक वेतन प्रदान किया जाए।
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निष्क्रिय पंचायतों को योजना से हटाने की चेतावनी
बैठक में सामने आया कि कई पंचायतों ने अब तक कोई कार्य प्रारंभ नहीं किया है। इस पर नाराज़गी जताते हुए मंत्री ने कहा, “ऐसी पंचायतों को मनरेगा पोर्टल से हटाने की कार्रवाई की जाएगी। गरीबों के अधिकारों से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”
हर हाथ को काम, हर घर को स्थायित्व: सरकार की प्रतिबद्धता
मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने अपने संबोधन के अंत में कहा, “मनरेगा रोजगार के साथ सम्मान और आत्मनिर्भरता की गारंटी है। हमारी सरकार हर हाथ को काम और हर परिवार को स्थायित्व देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
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