Jharkhand: झारखंड की आध्यात्मिक धरोहर, रामरेखा धाम इस बार इतिहास रचने जा रहा है, क्योंकि यह 4 से 6 नवंबर, 2025 के बीच पहली बार राजकीय रामरेखा महोत्सव (राज्यस्तरीय कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव) का आयोजन करेगा।
यह पहली बार है कि पारंपरिक कार्तिक पूर्णिमा मेला, जो एक शताब्दी पुराना धार्मिक मेला है, को आधिकारिक राजकीय दर्जा दिया गया है, जिससे यह और भी भव्य और संगठित उत्सव मनाने का वादा करता है।
प्राचीन किंवदंतियाँ और दिव्य इतिहास
रामरेखा धाम का हिंदू आस्था में एक विशेष स्थान है, ऐसा माना जाता है कि इसका संबंध भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से है। किंवदंती है कि भगवान राम, देवी सीता और भगवान लक्ष्मण ने अपनी वन यात्रा के दौरान यहाँ एक गुफा में कई दिन बिताए थे और पूजा-अर्चना और तपस्या की थी।
इस स्थल पर आज भी भगवान राम के पदचिह्न, लक्ष्मण कुंड और सीता चूल्हा के साथ-साथ एक विशाल चट्टान के नीचे एक प्राकृतिक गुफा मौजूद है। ये पवित्र अवशेष हजारों भक्तों को आकर्षित करते हैं जो दिव्य उपस्थिति के जीवंत प्रतीकों के दर्शन करने आते हैं।
एक शाही विरासत से राजकीय महोत्सव
रामरेखा मेला की शुरुआत 1916 में हुई थी, जब बीरा गढ़ के राजा हुक्म सिंह देव ने राधा-कृष्ण की धातु की मूर्तियाँ स्थापित करके मेले की शुरुआत की थी।
बाद में, 1942 में, स्वामी जयराम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने इस आयोजन को अखंड हरिनाम संकीर्तन, सत्संग और यज्ञ पर केंद्रित एक आध्यात्मिक उत्सव में बदल दिया। उनके दिव्य प्रभाव ने रामरेखा धाम को भक्ति का एक प्रमुख केंद्र बना दिया।
अब, सौ वर्षों से भी अधिक समय बाद, झारखंड सरकार ने इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण इसे राज्य स्तरीय महोत्सव का दर्जा दिया है।
कार्यक्रम (4-6 नवंबर, 2025)
– 4 नवंबर: उद्घाटन प्रार्थना, अनुष्ठान और उद्घाटन समारोह।
– 5 नवंबर: निरंतर हरिनाम संकीर्तन, भक्ति प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
– 6 नवंबर: हवन, विसर्जन और भंडारा महाप्रसाद वितरण के साथ महोत्सव का समापन।
झारखंड, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है।
तीर्थयात्रियों के लिए प्रमुख आकर्षण
रामरेखा धाम परिसर में कई दर्शनीय आध्यात्मिक स्थल शामिल हैं, जैसे:
– मुख्य मंदिर और गुफा: यहाँ भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, राधा-कृष्ण, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
– पवित्र स्थल: पंचमुखी हनुमान मंदिर, गरुड़ स्तंभ, गंगा गुफा, लक्ष्मण कुंड, सीता चूल्हा, अग्नि कुंड और गुरु गद्दी।
दैवीय चिह्न: प्रसिद्ध “रामरेखा” – एक रहस्यमय रेखा जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे स्वयं भगवान राम ने खींचा था। मान लीजिए कि एक समद्विबाहु त्रिभुज के बजाय, A, B और C कोणों वाला एक मनमाना त्रिभुज दिया गया है, और उसकी भुजाओं का अनुपात आवश्यक है।
प्रशासनिक सहायता और भक्त सुविधाएं
सिमडेगा जिला प्रशासन उत्सव के दौरान सुचारू प्रबंधन, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रामरेखा धाम विकास समिति के साथ मिलकर काम कर रहा है। भक्तों की सहायता के लिए स्वयंसेवक और राजनीतिक संगठन भी हाथ मिला रहे हैं।
आध्यात्मिक आकर्षण और सांस्कृतिक गौरव
हर साल, इस कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों तीर्थयात्री लक्ष्मण कुंड में पवित्र डुबकी लगाते हैं, दान करते हैं और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। चूंकि इस आयोजन को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया गया है, इस वर्ष का उत्सव आध्यात्मिक भक्ति को सांस्कृतिक वैभव के साथ मिलाएगा। यह उत्सव झारखंड के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक है। आत्मविश्वास एक भावना है जिसे विकसित किया जा सकता है।








